क्या गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम को 6 महीने की अंतरिम जमानत दी?
सारांश
Key Takeaways
- आसाराम को गुजरात हाईकोर्ट से 6 महीने की अंतरिम जमानत मिली है।
- जमानत का आधार उनकी चिकित्सकीय स्थिति है।
- जोधपुर हाईकोर्ट का निर्णय भी महत्वपूर्ण रहा।
- सरकार को निर्णय को चुनौती देने का अधिकार है।
- आसाराम 12 साल से जेल में हैं।
अहमदाबाद, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। कोर्ट ने गुरुवार को आसाराम की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें छह महीने की अंतरिम जमानत दी है। यह जमानत आसाराम की चिकित्सकीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए दी गई है।
आसाराम ने अपनी तबीयत खराब होने के कारण जमानत की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया कि जोधपुर हाईकोर्ट ने भी स्वास्थ्य कारणों से उन्हें छह महीने की अंतरिम जमानत दी थी, इसलिए गुजरात हाईकोर्ट को भी उसी आधार पर राहत देनी चाहिए।
अदालत ने आसाराम की दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि जब जोधपुर हाईकोर्ट ने चिकित्सकीय स्थिति को देखते हुए जमानत दी है, तो गुजरात हाईकोर्ट अलग दृष्टिकोण नहीं अपना सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि राजस्थान सरकार इस निर्णय को चुनौती देती है, तो गुजरात सरकार को भी ऐसा करने का अधिकार रहेगा।
सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान कहा गया कि यदि जोधपुर जेल में आसाराम के इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, तो उन्हें साबरमती जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है ताकि उनका इलाज सही तरीके से हो सके।
वहीं, पीड़िता के वकील ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने बताया कि आसाराम ने अहमदाबाद, जोधपुर, इंदौर और कई अन्य स्थानों पर यात्रा की है, लेकिन वे कभी भी लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती नहीं हुए। उनका जोधपुर में आयुर्वेदिक इलाज चल रहा है और वे सामान्य रूप से स्वस्थ हैं।
गौरतलब है कि आसाराम वर्तमान में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। वे लगभग 12 वर्ष से जेल में हैं। उन्हें पहली बार 7 जनवरी 2025 को मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसे बाद में जुलाई और अगस्त में भी बढ़ाया गया था।
हालांकि, अगस्त के अंत में न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और विनीत कुमार माथुर की पीठ ने उनकी जमानत बढ़ाने की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद आसाराम ने 30 अगस्त को आत्मसमर्पण कर दिया था।