क्या गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने नए साल 2026 के लिए राज्य सरकार का कैलेंडर जारी किया?
सारांश
Key Takeaways
- कैलेंडर का उद्देश्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
- गुजरात की औद्योगिक प्रगति को दर्शाता है।
- कला और संस्कृति का समृद्धि को प्रस्तुत करता है।
- डॉ. विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि दी गई।
- मुख्यमंत्री ने गुजरात की पहचान को मजबूत करने का प्रयास किया।
गांधीनगर, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंगलवार को गांधीनगर में वर्ष 2026 के लिए राज्य सरकार का कैलेंडर जारी किया। यह कैलेंडर "आत्मनिर्भर भारत, हमारा गौरव-वोकल फॉर लोकल" थीम पर आधारित है। इसमें गुजरात की औद्योगिक प्रगति और कला एवं संस्कृति की समृद्धि को सुंदर चित्रों और आवश्यक विवरणों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, ताकि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने के लिए गुजरात की मेहनत को आगे बढ़ाया जा सके।
मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने डिप्टी मुख्यमंत्री हर्ष संघवी की उपस्थिति में वर्ष 2026 का कैलेंडर देखकर प्रसन्नता व्यक्त की। इस कैलेंडर में ऑटोमोबाइल उद्योग, केमिकल उद्योग, फार्मा क्षेत्र, सिरेमिक उद्योग, सेमीकंडक्टर, हीरा उद्योग जैसी प्रमुख उद्योगों के साथ-साथ गुजरात की विशिष्ट कलाओं जैसे पाटन का पटोला, कच्छ का हैंडीक्राफ्ट, पिथोरा पेंटिंग, बांधनी, रोगन पेंटिंग, अकीक कारीगरी को भी दिखाया गया है।
इस अवसर पर राज्य मंत्री डॉ. जयरामभाई गामित, मुख्यमंत्री के ऐडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी विक्रांत पांडे, कॉटेज और विलेज इंडस्ट्रीज कमिश्नर और प्रिंसिपल सेक्रेटरी मोहम्मद शाहिद, सूचना निदेशक केएल बचानी, सरकारी प्रिंटिंग और प्रिंटिंग ऑफिस के इंचार्ज डायरेक्टर प्रेमसिंह कंवर और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
इससे पहले, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने डॉ. विक्रम साराभाई को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की।
सीएम ने अपनी पोस्ट में लिखा, "भारत को अंतरिक्ष युग में ले जाने वाले दूरदर्शी, गुजरात के गौरव और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश को बदलने का उनका सपना आज इसरो की बड़ी सफलताओं से पूरा हो रहा है। देश के समग्र विकास के लिए शिक्षा, विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में उनका अप्रतिम योगदान कभी नहीं भूला जाएगा।"