क्या गुजरात में 675 लाभार्थियों के साथ पीएमएफएमई योजना को सफलतापूर्वक लागू किया गया है?

सारांश
Key Takeaways
- पीएमएफएमई योजना ने 675 लाभार्थियों को सशक्त किया है।
- सरकारी सहायता से खाद्य प्रसंस्करण में उत्तम तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- स्थानीय रोजगार का सृजन हो रहा है।
- सुरभि वेफर्स जैसे व्यवसायों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार हो रहा है।
- समावेशी आर्थिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
गांधीनगर, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत, एक कृषि प्रधान देश के रूप में, खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) के क्षेत्र में नेतृत्व करने का अद्भुत अवसर रखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत केंद्र सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्राथमिकता देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण योजना है- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) योजना।
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा 29 जून, 2020 को शुरू की गई पीएमएफएमई योजना का लक्ष्य सूक्ष्म और असंगठित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को वित्तीय सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण और व्यवसायिक सहायता प्रदान कर उनका उन्नयन और औपचारिकीकरण करना है। गुजरात में 675 लाभार्थियों ने इस योजना का लाभ उठाया है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने पीएमएफएमई योजना को सफलतापूर्वक लागू करते हुए 675 लाभार्थियों को इससे जोड़ा है। राज्य ने केंद्रीय समर्थन के माध्यम से बेहतर तकनीक का उपयोग कर सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के विकास को तेज किया है और नए बाजारों में उनका प्रवेश सुनिश्चित किया है। ये प्रयास विकसित भारत के विजन के अनुसार हैं और समावेशी आर्थिक विकास की दिशा में राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
यह उल्लेखनीय है कि पीएमएफएमई योजना के तहत सूक्ष्म खाद्य व्यवसायों को परियोजना लागत पर 35 फीसदी (10 लाख रुपए तक) सब्सिडी, स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य के लिए 40,000 रुपए का प्रारंभिक वित्त पोषण (सीड कैपिटल), ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए 50 फीसदी सहायता तथा तकनीकी एवं व्यवसायिक कौशल में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
पीएमएफएमई योजना किस प्रकार लोगों के जीवन में परिवर्तन का एक प्रभावी साधन बनी है, इसका बेहतरीन उदाहरण सुरभि वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड है। गुजरात के नवसारी शहर में ललित ठुम्मर द्वारा एक रसोई घर से शुरू किया गया व्यवसाय आज सरहदों को पार कर चुका है। ललितभाई पहले घर पर ही 1-2 किलो वेफर्स बनाकर बेचते थे। पीएमएफएमई योजना की सहायता से उनके व्यवसाय का इतना विस्तार हुआ कि अब वे प्रतिदिन 1.5 टन केले के वेफर्स सात देशों को निर्यात करते हैं।
इस योजना के अंतर्गत ललितभाई को छीलने, टुकड़े करने और तलने की ऑटोमेटेड मशीनों के माध्यम से अपने उत्पादन को बढ़ाने का अवसर मिला, जिससे ताजे केले के प्रसंस्करण की क्षमता प्रतिदिन 6 टन तक पहुंच गई। इससे स्वच्छता, एक समान गुणवत्ता और लंबी शेल्फ लाइफ के साथ कंपनी के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों के द्वार खुल गए। आज सुरभि वेफर्स एशिया, यूरोप और मध्य-पूर्व के देशों में अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं, कारोबार का विस्तार होने से स्थानीय रोजगार का भी सृजन हुआ है।
अहमदाबाद के उद्यमी बकुलेश डी. नागर प्रोटीन पाउडर और एनर्जी ड्रिंक्स की अपनी रेंज के लिए प्रसिद्ध हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों और फिटनेस सेंटरों में उनके द्वारा बनाए गए प्रोटीन पाउडर और एनर्जी ड्रिंक्स की मांग बढ़ी है, जिसके चलते उन्हें अपने कारोबार के विस्तार की आवश्यकता थी। पीएमएफएमई योजना के अंतर्गत उन्हें विशेषज्ञ मार्गदर्शन और 35 फीसदी क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी मिली, जिससे वे आधुनिक मशीनरी और अद्यतन पैकेजिंग सॉल्यूशन्स के साथ अपनी उत्पादन सुविधा को अपग्रेड कर सके। परिणामस्वरूप उत्पादन की गुणवत्ता, दक्षता और ब्रांड वैल्यू में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
सूरत के मयूर वघासिया चुनौतियों को अवसरों में बदलने में विश्वास रखते हैं और उनके इस जज्बे को पीएमएफएमई योजना से बड़ा सहयोग मिला है। केवल तीन लोगों के साथ 10x10 वर्ग फुट किराए की दुकान से शुरू हुई घनश्याम फ्लोर मिल अब तीन फैक्ट्रियों और आठ रीटेल आउटलेट्स के साथ 40 लोगों को रोजगार प्रदान करने वाला व्यवसाय बन चुका है। 1998 में अपना व्यवसाय शुरू करने वाली घनश्याम फ्लोर मिल गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, इडली और ढोकला के आटे सहित 52 से अधिक प्रकार के आटे निर्मित करती है। यही नहीं, इन सभी उत्पादों का निर्यात भी किया जाता है।
सफल कारोबार के ऐसे अनेक उदाहरण यह दर्शाते हैं कि पीएमएफएमई योजना केवल इन व्यक्तियों को सशक्त नहीं बना रही है, बल्कि एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत की नींव भी रख रही है।