क्या जो भारत के नागरिक नहीं हैं, उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं है?: गुलाम अली खटाना
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया अवैध मतदाताओं के लिए है।
- भारत का चुनाव आयोग स्वतंत्र है।
- हर नागरिक को मतदान का अधिकार है।
- पारदर्शिता चुनाव आयोग के लिए महत्वपूर्ण है।
- भाजपा सभी नागरिकों को समान मानती है।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में जब विपक्षी सांसद एसआईआर का मुद्दा उठा रहे हैं, तो भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने कहा कि जब जनता विपक्ष को नकारती है, तब वे अनावश्यक मुद्दें उठाते हैं। एसआईआर अवैध मतदाताओं को वोटर सूची से हटाने की प्रक्रिया है। जो भारत के नागरिक नहीं हैं, वे वोट देने के योग्य नहीं हैं।
भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि भारत का चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, और पूरे वर्ष चुनाव होते रहते हैं। नगर निगम, पंचायत और अन्य चुनावों के लिए आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाता है। इसमें भाजपा का कोई हस्तक्षेप नहीं है। जो भी व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, उसे वोट देने का अधिकार नहीं है, और न ही उसे देश में रहने का हक है।
विपक्ष द्वारा चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाता है। अवैध वोटों और मृत व्यक्तियों के वोटों को हटाया जाएगा। हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है, लेकिन एक मतदाता को एक ही स्थान पर वोट देना होगा। पारदर्शिता आवश्यक है ताकि चुनाव आयोग, जो दुनिया के सबसे बड़े और जटिल चुनावों का संचालन करता है, लोगों का विश्वास बनाए रख सके। जब विपक्ष को असफलता मिलती है, तो वे निराश होकर बोल सकते हैं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बयान पर उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सभी नागरिकों को समान मानती है। हम किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। वोट देना हर व्यक्ति का अधिकार है, और हर व्यक्ति इसे स्वतंत्रता से उपयोग करता है। अल्पसंख्यक समुदाय से भाजपा को पूरे देश में वोट प्राप्त होते हैं। महिलाएं भी वोट डालती हैं।
दिल्ली में कांग्रेस की रैली पर उन्होंने कहा कि भारत एक स्वतंत्र देश है, और यहां कानून का राज है। कोई भी राजनीतिक पार्टी, चाहे कोई भी मुद्दा हो, किसी भी गैर-मुद्दे को विरोध प्रदर्शन में बदल सकती है, जब तक कि वह शांतिपूर्ण हो।