क्या आप जानते हैं श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 350वां शहीदी दिवस?
सारांश
Key Takeaways
- श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का बलिदान धार्मिक स्वतंत्रता का प्रतीक है।
- उनका जीवन हमें एकता की शक्ति का एहसास कराता है।
- ऐसे बलिदान हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
- धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष आवश्यक है।
- हमें इतिहास को याद रखना चाहिए।
मुंबई, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराज श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का ३५०वां शहीदी दिवस मनाते हुए, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनके अद्वितीय बलिदान को याद किया। सीएम ने कहा कि इस वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के बलिदान का ३५०वां वर्ष है, जिन्हें सिखों के चादर के बजाए हिंद की चादर कहा जाता है। इसका कारण यह है कि उनका बलिदान उन निर्दोष लोगों के लिए था, जिन्हें औरंगजेब ने अपने धर्म को छोड़ने के लिए मजबूर किया।
सीएम ने कहा कि औरंगजेब का लक्ष्य था कि यदि कश्मीरी पंडित अपने धर्म को छोड़ दें, तो वह सभी धार्मिक परंपराओं को बदल सकता है। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने इस चुनौती का सामना किया। उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया, लेकिन उन्होंने अपने धर्म और राज्य के धर्म को छोड़ने से मना कर दिया और अपने जीवन का बलिदान देना स्वीकार किया।
उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं ने देश की रक्षा के लिए अनेक लड़ाइयाँ लड़ी हैं। इतिहास को भूल जाने वाला समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता। अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले कई लोग हैं, लेकिन हमें एकता की ताकतों का सम्मान करना चाहिए। यह सिख गुरुओं की शिक्षाओं का भी आधार रहा है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस अवसर पर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की ३५०वीं शहादत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यक्रम का नाम 'हिंद-दी-चादर' रखा गया, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गुरु के बलिदान को याद किया गया।
नई दिल्ली में, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के बलिदान को स्मरण किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि 'हिंद दी चादर', श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपना शीश कुर्बान कर दिया। इस महान शहादत की ३५०वीं वर्षगांठ पंजाब सरकार श्रद्धा और सम्मान के साथ मना रही है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के गुरुद्वारा सीस गंज साहिब में २५ अक्टूबर को गुरु साहिब के चरणों में अरदास के साथ समागमों का आयोजन किया जाएगा। गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब, दिल्ली में विशाल कीर्तन दरबार में गुरु रूप संगत के उपदेशों को स्मरण किया जाएगा।