क्या गुरुवार व्रत में भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है? पूजा करते समय एक गलती न करें!
सारांश
Key Takeaways
- गुरुवार व्रत का पालन करने से धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाना महत्वपूर्ण है।
- पीले वस्त्र पहनना और पीले फल-फूलों का दान करना चाहिए।
- गुरुवार के दिन नियमों का पालन न करने पर भगवान नाराज हो सकते हैं।
- गरीबों को दान करने से पुण्य मिलता है।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 4 दिसंबर सुबह 8 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। इसके बाद पूर्णिमा का आरंभ होगा। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि और चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
अग्नि पुराण, बृहस्पति स्मृति और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गुरुवार के दिन विधि-विधान से पूजा करने से जातक को धन, विद्या और वैवाहिक सुख-सौभाग्य में लाभ मिलता है।
यह माना जाता है कि इस दिन श्री हरि की विशेष पूजा और व्रत करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ग्रंथों में उल्लेख है कि अगर व्रत के दिन नियमों का पालन न किया जाए, तो भगवान श्री हरि विष्णु नाराज हो सकते हैं। अगर कोई जातक गुरुवार व्रत शुरू करना चाहता है, तो वह किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से कर सकता है और 16 गुरुवार व्रत रख कर उद्यापन कर सकता है।
ऐसा माना जाता है कि जो इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें पीले वस्त्र पहनने चाहिए। साथ ही, पीले फल-फूलों का दान करना चाहिए, लेकिन ध्यान रखें कि पीली चीजों का सेवन न करें।
जो जातक व्रत नहीं रख सकते, वे विधि-विधान से पूजा कर या व्रत कथा सुन सकते हैं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न और धन का दान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए गुरुवार के दिन केले के पत्ते की पूजा की जाती है।