हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार क्यों लिया? जानें इसके पीछे की अद्भुत कहानी और महत्व

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हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार क्यों लिया? जानें इसके पीछे की अद्भुत कहानी और महत्व

सारांश

हनुमान जी का पंचमुखी अवतार न केवल उनकी शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि संकट के समय में वे अपने भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। जानें इस अद्भुत कहानी के पीछे की गहराई और इसके महत्व को।

Key Takeaways

  • हनुमान जी का पंचमुखी अवतार संकट में शक्ति का प्रतीक है।
  • यह अवतार भक्ति और सुरक्षा का संगम है।
  • पंचमुखी हनुमान सभी दिशाओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • उनकी पूजा से नकारात्मक शक्तियों का असर कम होता है।
  • यह स्वरूप आत्मविश्वास और साहस बढ़ाता है।

नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौराणिक कथाओं में हनुमान जी को शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक माना गया है। लेकिन उनका पंचमुखी स्वरूप इन सभी से भी अधिक चमत्कारी और दिव्य है। यह अवतार उस समय प्रकट हुआ, जब भगवान राम के जीवन पर एक घातक संकट आ गया था।

पौराणिक कथा के अनुसार, राम-रावण युद्ध के बीच जब रावण की हार सुनिश्चित दिखने लगी, तब उसने अपने मायावी भाई अहिरावण को बुलाया। अहिरावण तंत्र-मंत्र और मायावी शक्तियों का महान साधक था और माता भवानी का कट्टर भक्त माना जाता था। वह पाताल लोक का स्वामी और छल-कपट में माहिर था। उसने मौका देखकर पूरी वानर सेना को गहरी नींद में सुला दिया और राम-लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले गया।

जब हनुमान जी को यह पता चला, तो वे क्रोध और चिंता से भर उठे। लेकिन अहिरावण को एक खास वरदान प्राप्त था कि उसे मारने के लिए पांच अलग-अलग दिशाओं में जल रहे पांच दीपकों को एक साथ बुझाना पड़ेगा। अब समस्या यह थी कि एक साथ पांच अलग दिशाओं में जलते दीपकों को कैसे बुझाया जाए? यही वह क्षण था, जब हनुमान जी ने अपना चमत्कारी और बेहद दुर्लभ पंचमुखी रूप धारण किया।

इस पंचमुखी अवतार में हनुमान जी के पांच मुख थे: पूर्व दिशा में स्वयं हनुमान का मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, उत्तर में वराह मुख, दक्षिण में नृसिंह मुख और ऊपर की ओर हयग्रीव मुख। हर एक मुख में अलग शक्ति, अलग ऊर्जा और अलग उद्देश्य समाहित था। इस दिव्य रूप में प्रकट होकर हनुमान जी ने एक ही क्षण में पांचों दिशाओं में स्थित पांचों दीपकों को बुझा दिया और अहिरावण का वध कर दिया। इस तरह वे राम और लक्ष्मण को मुक्त कराकर सुरक्षित बाहर ले आए।

इस घटना का महत्व सिर्फ इतना नहीं कि हनुमान जी ने एक राक्षस का संहार किया, बल्कि इससे यह भी सिद्ध हो गया कि जब धर्म, सुरक्षा और भक्ति पर संकट आता है, तो हनुमान जी का हर स्वरूप अपने भक्तों के लिए सक्रिय हो जाता है।

पंचमुखी हनुमान का अर्थ है सभी दिशाओं से सुरक्षा। यह रूप इस बात का प्रतीक है कि चाहे मुसीबत कहीं से भी क्यों न आए, हनुमान जी अपनी अनंत शक्तियों से उसे नष्ट कर सकते हैं। गरुड़ मुख भय और विष से रक्षा करता है, वराह मुख धन और आयु प्रदान करता है, नृसिंह मुख संकटों को खा जाता है और हयग्रीव मुख ज्ञान का मार्ग खोल देता है।

भक्त मानते हैं कि पंचमुखी हनुमान का ध्यान या पूजा करने से घर में नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं, भय और चिंताएं समाप्त होती हैं और जीवन में आत्मविश्वास व साहस बढ़ता है। यही कारण है कि इस स्वरूप की पूजा को अत्यंत शक्तिशाली माना गया है।

Point of View

हमें हनुमान जी के इस स्वरूप की याद रखनी चाहिए।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

हनुमान जी का पंचमुखी अवतार कब प्रकट हुआ?
हनुमान जी का पंचमुखी अवतार उस समय प्रकट हुआ जब राम-रावण युद्ध के दौरान रावण ने अहिरावण से सहायता मांगी।
पंचमुखी हनुमान जी के मुखों का क्या महत्व है?
पंचमुखी हनुमान जी के मुखों का अलग-अलग उद्देश्य और शक्ति है, जैसे गरुड़ मुख भय से रक्षा करता है और वराह मुख धन और आयु प्रदान करता है।
पंचमुखी हनुमान की पूजा करने के लाभ क्या हैं?
पंचमुखी हनुमान की पूजा से नकारात्मक शक्तियों का असर कम होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में साहस का संचार होता है।
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