क्या हरियाणा में बाढ़ की गंभीर स्थिति प्रदेश सरकार की नाकामी है: भूपेंद्र हुड्डा?

सारांश
Key Takeaways
- हरियाणा में बाढ़ की स्थिति गंभीर है।
- भूपेंद्र हुड्डा ने प्रशासन को राहत कार्य में तेजी लाने की सलाह दी।
- किसानों को आर्थिक सहायता की आवश्यकता है।
- सरकार को मुआवजे की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए।
- केंद्र सरकार को राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
रोहतक, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने रविवार को लगातार दूसरे दिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुना। इस दौरान उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए।
भूपेंद्र हुड्डा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार की नाकामी के कारण हरियाणा में बाढ़ और जलभराव की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
उन्होंने कहा, "लोगों को तत्काल मदद और मुआवजे की आवश्यकता है, लेकिन सरकार ने एक बार फिर से लोगों को पोर्टल के हवाले कर दिया है।"
हुड्डा ने कहा, "पिछले कई वर्षों से सरकार मुआवजा देने के बजाय पोर्टल के खेल में लगी हुई है। इस व्यवस्था के कारण 90 प्रतिशत आपदा प्रभावित लोगों को मुआवजा नहीं मिल पाता। यहां तक कि कुछ किसानों को जो मुआवजा मिलता है, उसमें भी कई महीने लग जाते हैं। इसलिए कांग्रेस मांग करती रही है कि किसानों को सीधे आर्थिक मदद दी जाए।"
उन्होंने किसानों के साथ ट्रैक्टर चलाकर महम और कलानौर विधानसभा क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने कहा कि खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है।
उन्होंने कहा, "जलभराव के कारण आगामी फसल की कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए किसानों को कम से कम 60-70 हजार रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही, सरकार को घरों, दुकानों और अन्य इमारतों को हुए नुकसान का मुआवजा भी देना चाहिए। केंद्र सरकार को बाढ़ प्रभावित हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लिए राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।"
हुड्डा ने कहा कि जब 1995 में ऐसी ही बाढ़ आई थी, तो मैंने तत्कालीन कृषि मंत्री बलराम जाखड़ के साथ हरियाणा का दौरा किया था। उस समय कांग्रेस सरकार ने किसानों को खेत, खलिहान, ट्यूबवेल, सभी मकान-दुकानों के साथ-साथ फसलों समेत हर नुकसान का मुआवजा दिया था, लेकिन मौजूदा सरकार में जब मुआवजा देने की बात आती है तो किसानों को पोर्टल पर भेजा जाता है।