क्या झारखंड में खनिजों की संगठित लूट चलती रहेगी, इसलिए पेसा कानून लागू नहीं कर रही हेमंत सरकार?

सारांश
Key Takeaways
- रघुवर दास का आरोप कि पेसा कानून लागू नहीं किया जा रहा है।
- आदिवासी अधिकारों की अनदेखी का मुद्दा।
- राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की लूट को लेकर चिंता।
- सरकार पर आंदोलन की चेतावनी।
- संविधान के अनुसार आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा का महत्व।
रांची, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुवर दास ने राज्य में पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) कानून को लागू न करने के चलते हेमंत सोरेन की सरकार और कांग्रेस पार्टी पर कड़ा हमला किया है। बुधवार को रांची स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि भारत का संविधान आदिवासी, दलित, वंचित और शोषित समाज को संवैधानिक अधिकार प्रदान करता है। भारत सरकार ने पेसा कानून आदिवासियों की ग्राम सभाओं को अधिकार देने के उद्देश्य से लाया, लेकिन संविधान का हवाला देने वाली कांग्रेस-झामुमो की सरकार इस कानून को झारखंड में लागू होने से रोक रही है।
रघुवर दास ने बताया कि आदिवासी समाज लंबे समय से पेसा नियमावली को लागू करने की मांग कर रहा है और कई बार सड़कों पर उतर चुका है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर टालमटोल कर रही है। उन्होंने कहा कि “इस सरकार में कांग्रेस कोटे के ऐसे मंत्री और नेता हैं, जो ‘विदेशी धर्म’ को मानते हैं। वे नहीं चाहते कि पेसा कानून लागू हो, क्योंकि इससे ग्राम सभाओं से उन लोगों को बाहर होना पड़ेगा जो ‘विदेशी धर्म’ का पालन करते हैं।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों की लूट का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “बालू, कोयला और पत्थर जैसे संसाधनों की लूट का सिंडिकेट सरकार की मदद से चल रहा है। इसी अवैध धंधे से मुख्यमंत्री की तिजोरी भरी जा रही है। पेसा कानून लागू होने पर यह धंधा बंद हो जाएगा, इसलिए सरकार इसे लागू नहीं कर रही है।”
उन्होंने राज्य में लंबित निकाय चुनाव, एससी आयोग की नियुक्ति और पिछड़ों को ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण देने में हो रही देरी पर भी सरकार को घेरा। दास ने कहा कि राज्य में एक क्षेत्रीय दल की सरकार है और कांग्रेस केवल “पालकी ढोने का काम” कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि राहुल गांधी संविधान की रक्षा की बातें करते हैं, लेकिन झारखंड में हो रहे अन्याय पर चुप क्यों हैं?
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पेसा कानून और शहरी विकास योजनाओं के तहत झारखंड को केंद्र सरकार से मिलने वाले करीब 3,000 करोड़ रुपये की सहायता अटकी हुई है, जिससे आदिवासी और शहरी दोनों क्षेत्रों का विकास प्रभावित हो रहा है।
दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सीधा निशाना साधते हुए कहा, “राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, लेकिन आदिवासियों का हक छीना जा रहा है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार शीघ्र ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर पेसा कानून लागू नहीं करती, तो भाजपा सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी।