क्या हिजाब विवाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बचाव करेंगे बिहार के मंत्री जमा खान?
सारांश
Key Takeaways
- नीतीश कुमार का हिजाब विवाद पर विवादित बयान।
- बिहार सरकार के मंत्री जमा खान का समर्थन।
- विपक्ष का राजनीतिकरण।
- महिला डॉक्टर की सुरक्षा पर चिंताएँ।
- घटना ने समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं।
पटना, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक सार्वजनिक समारोह में एक महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने की घटना के कारण गहन आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
इस विवाद के बीच, बिहार सरकार के मंत्री जमा खान ने मुख्यमंत्री का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इस कृत्य के पीछे कोई गलत उद्देश्य नहीं था।
जमा खान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि लोग सीएम नीतीश कुमार को अच्छे से जानते हैं। वे समाज के सभी वर्गों के लिए काम करते हैं। महिला डॉक्टर उनके लिए एक बेटी की तरह हैं। नीतीश कुमार ने एक पिता या अभिभावक की तरह व्यवहार किया। उन्हें गर्व है कि अल्पसंख्यक समुदाय की बेटी ने उनकी सरकार में सफलता पाई है।
खान ने आरोप लगाया कि विपक्ष इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से राजनीतिक रूप दे रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ विपक्षी नेता बिना किसी आधार के नीतीश कुमार पर आरोप लगा रहे हैं।
जमा खान ने हिजाब विवाद के संदर्भ में मुख्यमंत्री को कथित तौर पर एक पाकिस्तानी डॉन द्वारा दी गई धमकी की खबरों को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि यह भारत है। लोग धमकियाँ दे सकते हैं, लेकिन उनका कोई महत्व नहीं है। हम भारतीय हैं, और हम किसी से नहीं डरते।
वास्तव में, यह विवाद 15 दिसंबर को तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय के संवाद हॉल में 1,283 आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र दिए। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी समारोह में उपस्थित थे।
इस घटना के बाद फिल्म अभिनेत्री राखी सावंत समेत कई लोगों ने मुख्यमंत्री की आलोचना की है। इसके अलावा, एक महिला ने लखनऊ के एक पुलिस स्टेशन में नीतीश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
विरोध के चलते इस मामले में शामिल महिला डॉक्टर नुसरत परवीन ने अस्थायी रूप से बिहार छोड़ दिया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वह अपने परिवार के साथ रहने के लिए कोलकाता चली गई हैं।
सूत्रों का कहना है कि घटना के एक दिन बाद ही उन्होंने राज्य छोड़ दिया। डॉ. नुसरत परवीन लंबे समय से डॉक्टर बनने की इच्छुक थीं और 20 दिसंबर को सरकारी नौकरी में शामिल होने वाली थीं। हालांकि, विवाद के बाद की घटनाओं ने उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।