क्या हिमाचल के किन्नौर में बादल फटने से भारी तबाही हुई?

सारांश
Key Takeaways
- हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से भयंकर बाढ़ आई है।
- कई गाड़ियां और घर बाढ़ में बह गए हैं।
- मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावित राज्य की घोषणा की है।
- 424 लोगों की जान जा चुकी है।
- राज्य में 650 से अधिक सड़कें अवरुद्ध हैं।
किन्नौर, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बादल फटने से भीषण तबाही का मंजर देखने को मिला है। बताया जा रहा है कि बादल फटने के कारण कई नालों में बाढ़ आ गई, जिसके चलते कई गाड़ियां बह गईं और घर-बगीचों को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
दरअसल, किन्नौर जिले के निचार उपमंडल के थाच गांव में रात करीब 12:10 बजे बादल फटने के बाद भयानक बाढ़ आई। तीन नालों का पानी उफान पर आ गया, जिससे खेत, बगीचे और आवासीय संपत्तियों को बड़ा नुकसान हुआ है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, जब बाढ़ का पानी गांव में आया, तो यहां के लोग डर के मारे अपने घरों से भागकर जंगलों में शरण लेने लगे।
जानकारी के मुताबिक, बाढ़ से दो गाड़ियां बह गई हैं। इसके अतिरिक्त, मस्तान गांव में घरों के कुछ हिस्से और एक पशुशाला भी बाढ़ में बह गई। कई बगीचे नष्ट हो गए हैं, जबकि रणवीर और तीन अन्य ग्रामीणों के घर ढहने की कगार पर हैं।
राज्य की राजधानी शिमला में एडवर्ड स्कूल के पास भूस्खलन होने से यातायात प्रभावित हुआ और शहर की महत्वपूर्ण सर्कुलर रोड को बंद करना पड़ा।
इस बीच, कुमासरन के करेवाथी क्षेत्र में एक तीन मंजिला घर ढह गया, जो राज्य में भारी बारिश के व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।
अब तक मानसून से संबंधित आपदाओं में हिमाचल प्रदेश में 424 लोगों की जान जा चुकी है, और राज्य में नुकसान लगातार बढ़ रहा है।
इस सप्ताह की शुरुआत में, 17 सितंबर को राज्य के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ और भूस्खलन से चार लोगों की मौत हो गई और छह लोग लापता हो गए। इसके साथ ही, 650 से अधिक सड़कें, जिनमें तीन राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल हैं, अभी भी अवरुद्ध हैं। इसके अलावा, बिजली और पेयजल जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुंच बाधित हो गई है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश को आपदा प्रभावित राज्य घोषित किया है और पिछले तीन वर्षों में कुल नुकसान 20,000 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान लगाया है। राज्य ने केंद्र सरकार से तत्काल वित्तीय सहायता और व्यापक राहत सहायता की अपील की है।
कुछ ही दिन पहले, 16 सितंबर को मंडी जिले के धर्मपुर में एक अन्य बादल फटने के कारण भी भारी तबाही हुई थी। कई एचआरटीसी बसें और निजी वाहन बह गए, और घर-दुकानें पानी में डूब गईं। स्थानीय लोगों ने इसे 2015 की बाढ़ से भी बदतर बताया, क्योंकि सोन नाला उफान पर आ गया था और विशाल क्षेत्रों को डुबो दिया था।