क्या हिमाचल प्रदेश में कश्मीरी शॉल विक्रेताओं का उत्पीड़न बढ़ रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- कश्मीरी विक्रेताओं के खिलाफ उत्पीड़न की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं।
- राज्य प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
- कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
- सामाजिक सामंजस्य को बनाए रखना आवश्यक है।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी एक बड़ी समस्या है।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर छात्र संघ (जेकेएसए) ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर हिमाचल प्रदेश में कश्मीरी छात्रों और पारंपरिक शॉल विक्रेताओं के खिलाफ बढ़ती धमकी, उत्पीड़न और लक्षित हिंसा की घटनाओं पर तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है।
संघ ने पत्र में कहा है कि पिछले वर्ष में विभिन्न उत्तरी राज्यों में कश्मीरी छात्रों और व्यापारियों से जुड़ी कई घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश विशेष रूप से चिंता का विषय बन गया है। संघ ने उल्लेख किया कि बार-बार किए गए निवेदन, आश्वासन और विभिन्न स्तरों पर हस्तक्षेप के बावजूद राज्य में ऐसी घटनाएं चिंताजनक तरीके से जारी हैं।
एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुएहामी ने कहा कि इस वर्ष अकेले हिमाचल प्रदेश में कश्मीरी शॉल विक्रेताओं पर हमले, धमकियां और उत्पीड़न की कम से कम 18 घटनाएं दर्ज की गई हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि कई मामलों में एफआईआर दर्ज करने में भी देरी देखी गई और न ही कोई गिरफ्तारी की गई।
खुएहामी ने स्पष्ट किया कि यह हजारों कश्मीरी शॉल विक्रेताओं की सुरक्षा, गरिमा और आजीविका सुनिश्चित करने में विफलता को दर्शाता है, जो पारंपरिक और वैध तरीकों से अपनी आजीविका कमाते हैं।
उन्होंने बताया कि कई कश्मीरी छात्र और व्यापारी लगातार डर और गंभीर मानसिक तनाव में जी रहे हैं। चिंताजनक रूप से, कई को हिमाचल प्रदेश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिससे उनकी शिक्षा बाधित हुई है और आजीविका का भी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही उनकी गरिमा को भी ठेस पहुंची है। एसोसिएशन ने इसे केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि कश्मीरी नागरिकों की सुरक्षा के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और नैतिक जिम्मेदारी की गंभीर कमी बताया।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी समान नागरिक हैं और भारत का अभिन्न अंग हैं। खुएहामी ने कहा कि कश्मीरी व्यापारियों को निशाना बनाना या उन्हें शहरों से बाहर निकालना अविश्वास और सामाजिक विभाजन को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के उत्पीड़न को बिना रोक-टोक के जारी रहने देना उन शत्रुतापूर्ण ताकतों के हाथों में खेलने जैसा है जो भारत के सामाजिक सामंजस्य को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री से हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से पिछले एक वर्ष में हुई सभी घटनाओं पर विस्तृत रिपोर्ट मांगने का आग्रह किया, जिसमें एफआईआर की स्थिति, गिरफ्तारियां, अभियोग और उठाए गए निवारक उपाय शामिल हों।
संगठन ने आशा व्यक्त की कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के समय पर और निर्णायक हस्तक्षेप से प्रभावित परिवारों में विश्वास बहाल करने, अलगाव को रोकने और प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों, गरिमा और सुरक्षा की रक्षा के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने में मदद मिलेगी।