क्या एचपीवी वैक्सीन प्री-कैंसर घावों को रोकने में भी कारगर है?
सारांश
Key Takeaways
- एचपीवी वैक्सीन प्री-कैंसर लिजन को रोकने में मददगार है।
- कम उम्र में वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण है।
- वैक्सीनेशन से हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त होती है।
- सर्वाइकल कैंसर की जांच नियमित रूप से करवानी चाहिए।
- वल्वा और वजाइना के घावों की पहचान जल्दी करना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक नई स्टडी के अनुसार, ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन, जो सामान्यतः सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए जानी जाती है, लड़कियों और महिलाओं में वल्वा और वजाइना के प्री-कैंसर लिजन (असामान्य गांठ, घाव, या असामान्य ऊतक) से रक्षा करने में भी सहायक हो सकती है।
यह वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से पहले होने वाले प्री-कैंसरस लिजन की रोकथाम में प्रभावी है। यह एचपीवी वायरस के उन प्रकारों (एचपीवी-16 और एचपीवी-18) के संक्रमण को रोकती है, जो कैंसर पैदा कर सकते हैं।
जर्नल जेएएमए ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि जिन महिलाओं को क्वाड्रीवैलेंट एचपीवी वैक्सीन की कम से कम एक डोज मिली थी, उनमें बिना वैक्सीन वाले महिलाओं की तुलना में हाई-ग्रेड वल्वोवजाइनल घावों का खतरा 37 प्रतिशत कम था।
10 से 16 वर्ष की आयु में वैक्सीन लगवा चुकी महिलाओं में हाई-ग्रेड वल्वोवजाइनल लिजन में कमी महत्वपूर्ण रही, क्योंकि इनमें बिना वैक्सीन वाली महिलाओं की तुलना में वजाइनल या वल्वर प्रीकैंसर की दर 57 प्रतिशत कम थी।
स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कहा, "ये नतीजे कम उम्र में एचपीवी वैक्सीनेशन की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हैं।"
टीम ने 1985 से 1998 के बीच पैदा हुई और 2006 से 2022 तक स्वीडन में रहने वाली 778,943 महिलाओं पर एक कोहोर्ट अध्ययन किया।
फॉलो-अप के दौरान, वैक्सीन लगवाने वाली महिलाओं में हाई-ग्रेड वल्वोवजाइनल लिजन के 98 मामले सामने आए, जबकि बिना वैक्सीन वाली महिलाओं में 547 मामले पाए गए।
वल्वर और वजाइनल घाव जननांगों के चारों ओर त्वचा में होने वाले विभिन्न प्रकार के बदलाव होते हैं (गांठ, घाव, सिस्ट, रंग बदलना), जो हल्के (संक्रमण, सिस्ट, लाइकेन स्क्लेरोसिस जैसी त्वचा की स्थिति) से लेकर प्रीकैंसरस (वीआईएन) या कैंसरस तक हो सकते हैं। इनसे अक्सर खुजली, दर्द, जलन या डिस्चार्ज होता है।
वल्वर और वजाइनल घावों का प्रीकैंसरस (कैंसर पूर्व) स्टेज में पता लगाना आवश्यक है, ताकि वे जानलेवा कैंसर में परिवर्तित न हों। जल्दी पहचान से ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।
एचपीवी दुनिया भर में सबसे सामान्य यौन संचारित संक्रमण है और हर साल 690,000 से अधिक नए कैंसर के मामलों के लिए जिम्मेदार है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में सर्वाइकल कैंसर के साथ-साथ अन्य जननांग और सिर एवं गर्दन के कैंसर का मुख्य कारण है।
हालिया अध्ययन में यह भी पाया गया है कि एचपीवी वैक्सीन न केवल सर्वाइकल कैंसर को रोकता है, बल्कि महत्वपूर्ण हर्ड इम्यूनिटी भी प्रदान करता है, जिससे उन युवतियों को भी सुरक्षा मिलती है जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी होती है।