क्या देशभर की आईआईटी में ‘मानेकशॉ केंद्र’ रक्षा जरूरतों के लिए एक नई पहल है?

सारांश
Key Takeaways
- मानेकशॉ केंद्र का उद्देश्य स्वदेशी रक्षा समाधान विकसित करना है।
- यह केंद्र सशस्त्र बलों और शोध संस्थानों के बीच समन्वय स्थापित करेगा।
- केंद्र का संचालन शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत होगा।
- यह पहल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- केंद्र से जुड़े प्रमुख संस्थान में आईआईटी गुवाहाटी और अन्य शामिल हैं।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए एक नई और महत्वाकांक्षी पहल की गई है। इस पहल के तहत ‘मानेकशॉ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज एंड रिसर्च’ की स्थापना की गई है।
यह विशेष रिसर्च केंद्र देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों यानी आईआईटी में स्थापित हो रहा है। इस केंद्र का संचालन शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत किया जाएगा और इसकी अगुवाई आईआईटी गुवाहाटी करेगा। इस केंद्र का उद्देश्य देश की रक्षा आवश्यकताओं के अनुसार स्वदेशी समाधान विकसित करना और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है। यह केंद्र सशस्त्र बलों, सुरक्षा एजेंसियों और शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच एक समन्वय स्थापित करने वाली एकल खिड़की संचार प्रणाली के रूप में कार्य करेगा।
इस पहल के बारे में आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रोफेसर देवेंद्र जलिहाल के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भेंट की। प्रतिनिधिमंडल में प्रो. मनिन्द्र अग्रवाल, निदेशक, आईआईटी कानपुर, और लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. सुब्रत साहा, कार्यकारी अध्यक्ष एवं सीओओ, मानेकशॉ सेंटर शामिल थे।
बैठक में शिक्षा मंत्रालय के सचिव विनीत जोशी एवं संयुक्त सचिव सौम्या गुप्ता भी मौजूद रहे। प्रोफेसर जलिहाल ने कहा, “मानेकशॉ केंद्र भारतीय शिक्षा जगत और रक्षा बलों के बीच एक मजबूत कड़ी का कार्य करेगा। यह समय-समय पर रक्षा एजेंसियों के साथ संवाद करेगा। उनकी सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुसार प्रणालियों को परिभाषित और डिजाइन करेगा। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की उभरती चुनौतियों के समाधान हेतु एक मजबूत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। इस केंद्र के साथ देशभर के प्रतिष्ठित संस्थान जुड़ रहे हैं। इनमें आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी मद्रास, आईआईटी कानपुर, आईआईटी जोधपुर, आईआईटी धारवाड़, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी बीएचयू-वाराणसी, आईएसएम-धनबाद, आईआईएससी बैंगलोर शामिल हैं।
इसके अलावा जल्द ही और संस्थानों के भी इसमें शामिल होने की संभावना है। यह केंद्र जिन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कार्य कर रहा है उनमें स्वदेशी रक्षा समाधान विकसित कर भारत को “भारतीय समाधानों के साथ युद्ध जीतने” में सक्षम बनाना शामिल है। इसके अलावा स्टार्ट-अप्स, उद्योग, और विदेशी संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाना तथा अगली पीढ़ी की सुरक्षा चुनौतियों के समाधान हेतु कार्यशालाएं, संगोष्ठियाँ और संवाद श्रृंखला आयोजित करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आईआईटी गुवाहाटी की यह पहल न केवल रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत की संविधानिक सोच और तकनीकी क्षमता को भी वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।