क्या इमरान मसूद ने मदनी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि सभी को 'जिहाद' सिखाया जाना चाहिए?
सारांश
Key Takeaways
- जिहाद का सही अर्थ समझना जरूरी है।
- इमरान मसूद ने मदनी के विचारों का समर्थन किया।
- जिहाद को सिखाने की आवश्यकता है।
- कांग्रेस को अपने मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- मुसलमानों के मुद्दे भी उठाने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बुधवार को जमीयत-उलेमा-हिंद के प्रमुख मौलाना मदनी के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी को जिहाद सिखाया जाना चाहिए।
इमरान मसूद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, जिहाद एक ऐसा शब्द है, जिसे समझना और सिखाना चाहिए। यह देश के लिए आवश्यक है। जब देश पर संकट आता है, तो जिहाद उसी के लिए होता है। उन्होंने कहा कि लोग जिहाद के अर्थ को भटका रहे हैं। पहले इसका सही मतलब समझना चाहिए।
मदनी के बयान पर टिप्पणी करते हुए इमरान मसूद ने कहा, 'कांग्रेस पहले अपने मुद्दे उठाए, फिर मुसलमानों के मुद्दे उठाए।' उन्होंने यह भी कहा, 'मुसलमानों के मुद्दे कौन उठा रहा है? हम ही उन्हें उठाते हैं। हमने वक्फ के मुद्दे पर सबसे अधिक लड़ाई लड़ी है। वक्फ का मुद्दा और कौन उठाएगा?'
असल में, मौलाना मदनी ने राष्ट्र प्रेस को दिए एक विशेष इंटरव्यू में जिहाद को देश के लिए जरूरी बताया था और इसे सिखाने की बात कही थी। उन्होंने कहा, 'जिहाद देश के लिए आवश्यक है और लोगों को इसके विभिन्न प्रकारों और परिस्थितियों के बारे में जानना चाहिए। यह एक धार्मिक और पवित्र शब्द है, जिसे सभी धर्मों में पढ़ाया जाना चाहिए।'
इस पर मुसलमानों के मुद्दे उठाने से जुड़े सवाल पर मदनी ने कहा कि किसी भी मुख्यधारा की पार्टी से यह उम्मीद करना कि वह सिर्फ मुसलमानों के लिए लड़े, एक गलतफहमी है। कांग्रेस अभी अपने मुद्दे नहीं उठा पा रही है, तो हमारे मुद्दे कैसे उठाएगी?