क्या भारतीय रेलवे ने 99 प्रतिशत रेल नेटवर्क का विद्युतीकरण कर रिकॉर्ड बनाया?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय रेलवे ने 99 प्रतिशत ब्रॉड-गेज नेटवर्क का विद्युतीकरण किया है।
- इससे डीजल की खपत और उत्सर्जन में कमी आई है।
- रेलवे अब नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर हो रहा है।
- भविष्य की योजनाओं में 1,500 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने का लक्ष्य है।
- नई तकनीकें जैसे कि आईजीबीटी लोकोमोटिव का विकास किया जा रहा है।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रेलवे अपनी विद्युतीकरण (इलेक्ट्रिफिकेशन) योजना में तेजी से प्रगति कर रहा है। अब तक इसके 99 प्रतिशत से अधिक ब्रॉड-गेज नेटवर्क को इलेक्ट्रिफाई किया जा चुका है और शेष हिस्सों का विद्युतीकरण जल्द ही पूरा होने की संभावना है। रेल मंत्रालय ने यह जानकारी रविवार को साझा की।
रेल मंत्रालय के अनुसार, “पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में काफी तेजी से प्रगति हो रही है। वर्ष 2019 से 2025 के बीच भारतीय रेलवे ने 33,000 किलोमीटर से ज्यादा रेल मार्गों का विद्युतीकरण किया, यानी हर दिन औसतन 15 किलोमीटर से अधिक रेलवे ट्रैक को इलेक्ट्रिफाई किया गया। इस दौरान इलेक्ट्रिफाई की गई दूरी लगभग जर्मनी के पूरे रेलवे नेटवर्क के बराबर है, जो भारत की इस योजना की गंभीरता और दायरे को प्रदर्शित करता है।”
यह उपलब्धि भारत के लिए और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन देशों से कहीं आगे है, जिनकी पहले से मजबूत रेलवे प्रणालियां हैं। भारत ने अपनी ब्रॉड-गेज प्रणाली के अधिकांश हिस्से को इलेक्ट्रिफाई किया है, जबकि दुनिया के कई बड़े और व्यस्त नेटवर्क अभी भी डीजल इंजन पर निर्भर हैं।
इस बदलाव के कारण डीजल की खपत में कमी आई है, उत्सर्जन घटा है, ऑपरेशनल खर्च में कमी आई है और ट्रेन संचालन की कुशलता और गति में सुधार हुआ है।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद में बताया था कि भारतीय रेलवे अब अपनी ट्रैक्शन पावर की जरूरतों को सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरा करने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना और पर्यावरण की रक्षा करना है।
उन्होंने बताया कि नवंबर 2025 तक भारतीय रेलवे ने 812 मेगावाट सौर ऊर्जा और 93 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए हैं, जो रेलवे की ट्रैक्शन पावर की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।
इसके अलावा, रेलवे ने 1,500 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने का भी इंतजाम किया है, जिसमें सौर, पवन और स्टोरेज तकनीकें शामिल हैं।
रेलवे अब थ्री-फेज आईजीबीटी टेक्नोलॉजी आधारित लोकोमोटिव (मोटर) भी बना रहा है, जो ऊर्जा को रि-जेनरेट कर सकती है, यानी ब्रेकिंग के दौरान उपयोग की गई ऊर्जा का कुछ हिस्सा फिर से वापस पैदा कर सकती है।