क्या हर 10 में से 6 भारतीय युवा बचत को प्राथमिकता दे रहे हैं? : रिपोर्ट

सारांश
Key Takeaways
- 60% युवा अपनी आय को बचत और निवेश में लगा रहे हैं।
- पहली बार नौकरी करने वाले 31% लोग लाइफस्टाइल अपग्रेड पर खर्च करना चाहते हैं।
- टेक्नोलॉजी सेक्टर में 76% पेशेवर अपनी आय का बचत कर रहे हैं।
- रिपोर्ट में 43% उत्तरदाताओं ने नई कर व्यवस्था से अनभिज्ञता जताई।
- लाइफस्टाइल अपग्रेड पर 9% लोग खर्च कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय युवा पेशेवर अपनी सरपल्स आय को खर्च करने के बजाय बचत, निवेश और कर्ज चुकाने में लगा रहे हैं। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई।
एक जॉब साइट द्वारा किए गए सर्वेक्षण में बताया गया है कि लगभग 60 प्रतिशत युवा अपनी सरपल्स आय को बचत और निवेश में लगा रहे हैं। वहीं, 30 प्रतिशत युवा इसका उपयोग कर्ज चुकाने के लिए कर रहे हैं।
यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय स्तर पर 20,000 नौकरी खोजने वालों पर किया गया है, जिनकी आय 12.75 लाख रुपए प्रति वर्ष तक है।
सर्वेक्षण के अनुसार, एक छोटा वर्ग तत्काल उपभोग की ओर पैसे खर्च कर रहा है। लाइफस्टाइल अपग्रेड पर 9 प्रतिशत लोग खर्च कर रहे हैं, जबकि 4 प्रतिशत लोग यात्रा पर खर्च कर रहे हैं।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि उभरती हुई टेक्नोलॉजी में कार्यरत पेशेवर बचत में सबसे आगे हैं। इस क्षेत्र के पेशेवर अपनी सरपल्स आय का 76 प्रतिशत बचत कर रहे हैं। ऑटो और फार्मा सेक्टर के पेशेवरों के लिए यह आंकड़ा 57 प्रतिशत है।
इसके अतिरिक्त, एफएमसीजी और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के पेशेवर क्रमशः 64 प्रतिशत और 60 प्रतिशत से अधिक अपनी सरपल्स आय की बचत कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "सर्वेक्षण के निष्कर्ष वित्तीय व्यवहार में पीढ़ीगत बदलाव को उजागर करते हैं। युवा भारतीय पेशेवर तत्काल उपभोग के बजाय दीर्घकालिक सुरक्षा की नींव रख रहे हैं। क्षेत्रीय और उद्योग-वार बारीकियां इस तेजी से विकसित होते ट्रेंड को गहराई प्रदान कर रही हैं।"
वहीं, पहली बार नौकरी करने वाले 31 प्रतिशत लोग टैक्स सरपल्स को लाइफस्टाइल अपग्रेड में और 14 प्रतिशत लोग यात्रा में खर्च करना चाहते हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नई कर व्यवस्था के प्रति जागरूकता असमान है। 64 प्रतिशत नए लोगों ने लाभों के बारे में पूरी जानकारी होने की बात कही, जबकि 57 प्रतिशत पेशेवरों ने भी ऐसा ही कहा। कुल मिलाकर, 43 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि वे परिवर्तनों के बारे में स्पष्ट नहीं थे या पूरी तरह से अनभिज्ञ थे।