क्या ईरान-पाकिस्तान ने एक ही दिन में दो हजार अफगान शरणार्थियों को निकाला?
सारांश
Key Takeaways
- ईरान और पाकिस्तान से दो हजार से अधिक अफगान शरणार्थियों का निकाला जाना।
- सर्दियों में शरणार्थियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- सरकारों को मानवाधिकार का सम्मान करना चाहिए।
- तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव जारी है।
- प्रवासी अमानवीय स्थितियों में जी रहे हैं।
काबुल, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तालिबान के एक अधिकारी ने यह दावा किया है कि पड़ोसी देशों ईरान और पाकिस्तान से एक ही दिन में दो हजार से अधिक अफगान शरणार्थियों को बाहर निकाला गया है।
रविवार को एक्स प्लेटफॉर्म पर तालिबान के उप प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत ने इसकी जानकारी दी। प्रवासियों के मुद्दों के उच्चायोग की रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि शनिवार को ईरान और पाकिस्तान से 668 परिवार (जिनमें 2,553 लोग शामिल थे) अफगानिस्तान भेजे गए।
पझवोक अफगान न्यूज ने उनके हवाले से कहा कि ईरान-पाकिस्तान से निकाले गए अफगानियों ने कंधार में स्पिन बोल्डक, हेलमंद में बहरामचा, हेरात में इस्लाम कला क्रॉसिंग, निमरोज में पुल-ए-अब रेशम और नंगरहार में तोरखम क्रॉसिंग के रास्ते अफगानिस्तान पहुंचने में सफलता पाई।
फितरत ने बताया कि 694 परिवारों (जिनमें 4,310 लोग शामिल थे) को उनके क्षेत्र में भेजा गया, जबकि 531 परिवारों को अफगानिस्तान की सीमा में प्रवेश करते ही मानवीय सहायता प्रदान की गई।
उन्होंने यह भी बताया कि संचार कंपनियों ने अफगानिस्तान लौटे शरणार्थियों को 747 सिम कार्ड बांटे।
इससे पहले मंगलवार को ईरान और पाकिस्तान से 2,370 अफगान प्रवासियों को जबरन वापस भेजा गया था।
पिछले महीने, पाकिस्तान से हाल ही में स्वदेश लौटे कई अफगान प्रवासियों ने कहा कि उन्हें सर्दियों के मौसम में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय मीडिया में इसकी सूचना दी गई है कि उन्होंने आश्रय की कमी, सर्दियों में सहायता की आवश्यकता और इलेक्ट्रॉनिक आईडी कार्ड (तजकिरा) बनवाने में आ रही समस्याओं का उल्लेख किया।
मानवाधिकार समूह शरणार्थियों के प्रति सरकार के रवैये पर कुछ बोलने से परहेज करते हैं।
पिछले कुछ महीनों से, तालिबान और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के कारण, इस्लामाबाद ने अफगान शरणार्थियों पर दबाव बढ़ा दिया है। पाकिस्तानी सेना इस्लामाबाद सहित विभिन्न क्षेत्रों में हर दिन प्रवासियों को बड़े पैमाने पर परेशान कर रही है।
बिना वीजा के अफगान शरणार्थियों की गिरफ्तारी से जुड़े आधिकारिक अभियानों के अलावा, सादे कपड़ों में लोग आवासीय इलाकों में प्रवासियों से पैसे वसूलते हैं। अफगान शरणार्थी बताते हैं कि वे डर और चिंता से भरे अमानवीय हालात में जीने को मजबूर हैं, जहां उनके अधिकारों का सम्मान नहीं किया जाता है।