क्या आईएसआईएस केरल-तमिलनाडु केस में दोषियों को 8 साल की सजा मिली?

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क्या आईएसआईएस केरल-तमिलनाडु केस में दोषियों को 8 साल की सजा मिली?

सारांश

एनआईए की विशेष अदालत ने आईएसआईएस केरल-तमिलनाडु केस में दो आरोपियों को 8 साल की सजा सुनाई। यह फैसला युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेलने की साजिश से जुड़ा है। जानिए इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।

Key Takeaways

  • आईएसआईएस की कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार-प्रसार
  • दक्षिण भारत में आतंकवाद का खतरा
  • एनआईए की सख्त कार्रवाई
  • आतंकवाद के खिलाफ सजग रहने की आवश्यकता
  • युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने के उपाय

नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एर्नाकुलम स्थित विशेष अदालत ने आईएसआईएस केरल-तमिलनाडु केस में दो आरोपियों को दोषी करार देते हुए 8 साल की कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला आतंकी संगठन की कट्टरपंथी विचारधारा के प्रचार-प्रसार और युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर धकेलने की साजिश के मामले में आया है।

दोषी ठहराए गए आरोपियों के नाम मोहम्मद अजहरुद्दीन एच और शेख हिदायतुल्लाह वाई हैं। कोर्ट ने इन्हें विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया है।

विशेष कोर्ट ने दोनों आरोपियों को धारा 120बी के साथ धारा 38 और 39 (यूए(पी) एक्ट) के तहत 8 साल की कठोर सजा दी है। इसके अलावा धारा 38 और 39 के तहत अलग-अलग 8 साल की सजा और सुनाई गई है। हालांकि, सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।

यह मामला आईएसआईएस की हिंसक और चरमपंथी विचारधारा को फैलाने से जुड़ा है। मोहम्मद अजहरुद्दीन और उसके साथियों ने दक्षिण भारत, विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु में युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों के लिए उकसाने और भर्ती करने की साजिश रची थी।

एनआईए ने इस केस को 2019 में स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज किया था। शुरुआत में इस मामले में छह लोगों के खिलाफ जांच शुरू की गई थी, जो सभी तमिलनाडु के कोयंबटूर के रहने वाले थे।

दिलचस्प बात यह है कि अजहरुद्दीन और हिदायतुल्लाह को 2022 के कोयंबटूर कार बम ब्लास्ट केस में भी चार्जशीट किया गया है। इस हमले में उनका साथी जमिशा मुबीन एक वाहन में आईईडी (विस्फोटक उपकरण) लेकर मंदिर के पास आत्मघाती हमला करने पहुंचा था। यह हमला अजहरुद्दीन की गिरफ्तारी और लंबे समय तक जेल में रहने के बदले के रूप में किया गया था।

जांच में सामने आया कि अजहरुद्दीन ने गुप्त बयानों (बयान क्लासेस) के जरिए जमिशा और अन्य को आईएसआईएस की हिंसक विचारधारा में ढाला था। बाद में, जमानत पर बाहर आए हिदायतुल्लाह ने भी जमिशा को और कट्टर बनाया और उसे आत्मघाती हमले के लिए प्रेरित किया। जेल में रहते हुए भी अजहरुद्दीन, हमलावर से मुलाकात करता रहा और उसे दिशा-निर्देश देता रहा।

एनआईए ने बताया है कि इस मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच अभी भी चल रही है और जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

Point of View

जो भारत में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को दर्शाती है। यह जरूरी है कि हम युवा पीढ़ी को इस प्रकार की कट्टरपंथी विचारधाराओं से बचाने के लिए सजग रहें।
NationPress
29/09/2025

Frequently Asked Questions

आईएसआईएस केरल-तमिलनाडु केस क्या है?
यह मामला आईएसआईएस की कट्टरपंथी विचारधारा को फैलाने की साजिश से संबंधित है, जिसमें दो आरोपियों को दोषी पाया गया है।
दोषियों को कितनी सजा सुनाई गई?
दो दोषियों को 8 साल की सजा सुनाई गई है।
यह मामला कब दर्ज हुआ था?
यह मामला 2019 में एनआईए द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज किया गया था।
क्या अन्य आरोपी भी हैं?
हां, इस मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच अभी भी चल रही है।
क्या ये आरोपी पहले से किसी अन्य मामले में शामिल थे?
जी हां, अजहरुद्दीन और हिदायतुल्लाह को 2022 के कोयंबटूर कार बम ब्लास्ट केस में भी चार्जशीट किया गया था।