क्या इस्लामिक पार्टियों ने ढाका में चुनाव से पहले जुलाई चार्टर लागू करने की मांग की?

सारांश
Key Takeaways
- इस्लामिक पार्टियों ने ढाका में विरोध प्रदर्शन किया।
- मांग: जुलाई चार्टर का कानूनी आधार।
- आगामी चुनावों के लिए जनमत संग्रह की आवश्यकता।
- राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है।
- स्थानीय मीडिया रिपोर्टें इस पर नजर बनाए हुए हैं।
ढाका, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में अगले साल होने वाले चुनावों की तैयारी के बीच, कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी और अन्य सात इस्लामिक राजनीतिक दलों ने मंगलवार को ढाका में मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ये दल राजनीतिक संघर्ष के बीच अपनी मांगें उठा रहे हैं।
इन पार्टियों ने कई मांगें रखीं, जिनमें यह भी शामिल है कि फरवरी 2026 के चुनाव जुलाई चार्टर के कानूनी ढांचे के तहत जनमत संग्रह के जरिए कराए जाएं।
यह मानव श्रृंखला जमात की ढाका महानगर उत्तर और दक्षिण इकाइयों द्वारा जत्राबारी से गबटोली तक आयोजित की गई थी।
पार्टी ने पांच प्रमुख मांगें उठाईं, जिसमें आम चुनाव से पहले नवंबर में जुलाई राष्ट्रीय चार्टर पर जनमत संग्रह और आनुपातिक प्रतिनिधित्व (पीआर) शामिल हैं।
अन्य इस्लामिक पार्टियों जैसे कि बांग्लादेश खिलाफत मजलिस, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (जगपा), और नेजाम-ए-इस्लाम पार्टी ने भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए, जिसमें उनके नेता और कार्यकर्ता राजधानी के विभिन्न स्थानों पर एकत्रित हुए।
इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश की ओर से आयोजित मानव श्रृंखला में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, इस्लामिक मूवमेंट के संयुक्त महासचिव गाजी अताउर रहमान ने कहा, "जुलाई चार्टर की कानूनी मान्यता के लिए जनमत संग्रह अगले राष्ट्रीय चुनाव की तिथि घोषित होने से पहले होना चाहिए।"
बांग्लादेश के प्रमुख बंगाली दैनिक प्रथम आलो ने रहमान के हवाले से कहा, "अगर चुनावों से पहले जुलाई चार्टर का कानूनी आधार तय नहीं किया गया, तो यह अप्रासंगिक हो जाएगा। राष्ट्रीय चुनाव भी संकट में पड़ सकते हैं।"
पिछले महीने, इन सात इस्लामिक राजनीतिक दलों ने ढाका में विरोध रैलियां कीं और जुलाई चार्टर के तहत फरवरी में राष्ट्रीय चुनाव कराने और जनसम्पर्क प्रणाली लागू करने की मांग की।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, इस्लामिक दलों के नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि अगले चुनावों से पहले चार्टर को कानूनी आधार नहीं दिया गया, तो बांग्लादेश को "बड़ी आपदा" का सामना करना पड़ सकता है।
दूसरी ओर, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने आरोप लगाया है कि देश के 1971 के मुक्ति संग्राम में पराजित समूह जनसंपर्क प्रणाली की मांग को लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करके आगामी राष्ट्रीय चुनावों को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं।
बांग्लादेश अगले साल होने वाले चुनावों से पहले बढ़ती अनिश्चितता और राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है।
जिन दलों ने पहले शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सत्ता से हटाने का प्रयास किया, वे अब सुधार प्रस्तावों को लेकर आपस में भिड़ गए हैं।