क्या जैकी श्रॉफ ने 'दो आंखें बारह हाथ' वाले निर्देशक वी. शांताराम को श्रद्धांजलि दी?
सारांश
Key Takeaways
- वी. शांताराम ने सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी है।
- उनकी फिल्में आज भी कल्ट क्लासिक मानी जाती हैं।
- जैकी श्रॉफ ने श्रद्धांजलि देकर नई पीढ़ी को प्रेरित किया।
- वी. शांताराम का व्यक्तिगत जीवन भी रोचक रहा है।
- उनकी विरासत आज भी सिनेमा जगत को प्रभावित कर रही है।
मुंबई, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेता जैकी श्रॉफ ने हिंदी और मराठी सिनेमा के महान निर्देशक वी. शांताराम की पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वी. शांताराम ने 'दो आंखें बारह हाथ', 'पिंजरा', और 'स्त्री' जैसी कल्ट क्लासिक फिल्मों का निर्माण कर सिनेमा जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
जैकी श्रॉफ ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरीज में 1950 और 60 के दशक के इस महान निर्देशक की तस्वीर साझा की। उन्होंने श्रद्धांजलिवी. शांताराम जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हैं।"
वी. शांताराम ने न केवल मनोरंजन जगत में योगदान दिया, बल्कि सामाजिक संदेश देने वाली आधुनिक फिल्मों का भी निर्माण किया। दिलचस्प यह है कि उन्होंने कुछ फिल्मों में स्वयं भी अभिनय किया है। उन्हें फिल्मफेयर, गोल्डन ग्लोब, राष्ट्रीय पुरस्कार, और बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दो पुरस्कार मिले हैं।
कोल्हापुर के निवासी शांताराम की फिल्म 'डॉ. कोटनीस की अमर कहानी' (1946) भारतीय चिकित्सक डॉ. द्वारकानाथ कोटनीस के जीवन पर आधारित थी। 'झनक झनक पायल बाजे' (1955) में संगीत और नृत्य की शानदार प्रस्तुति थी, जबकि 'दो आंखें बारह हाथ' (1957) जेल सुधार पर आधारित थी, जो कैदियों की मानवीयता को उजागर करती है। ये सभी फिल्में आज भी कल्ट क्लासिक मानी जाती हैं।
निर्देशक की व्यक्तिगत जीवन में भी कई रोचक पहलू रहे हैं। उन्होंने विमलाबाई से पारंपरिक विवाह किया और चार संतानें हुईं। बाद में उनकी जयश्री से मुलाकात हुई और उन्होंने दूसरी बार शादी की। उनकी दूसरी पत्नी से उनके तीन बच्चे थे। 55 वर्ष की उम्र में उन्होंने एक्ट्रेस संध्या से तीसरी बार विवाह किया, तब संध्या की उम्र केवल 18 वर्ष थी।
30 अक्टूबर 1990 को 88 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ। आज भी उनकी विरासत नई पीढ़ी को प्रेरित करती है।