क्या छत्तीसगढ़ के बस्तर में 200 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण करेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- 200 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में यह घटना होगी।
- यह नक्सलवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
- सरकार ने सुरक्षा और विकास को जोड़ने की रणनीति अपनाई है।
- जनजातीय समुदायों में जागरूकता बढ़ रही है।
रायपुर, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ में उग्रवाद के खिलाफ चल रही दीर्घकालिक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटना सामने आ रही है। माड़ क्षेत्र के 200 से अधिक माओवादी शुक्रवार को जगदलपुर में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के समक्ष औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण करेंगे।
इसमें उत्तर-पश्चिम उप-क्षेत्रीय प्रभारी रूपेश भी शामिल हैं, जो एक उच्च पदस्थ व्यक्ति हैं। उनके पार्टी छोड़ने से माओवादी कमांड संरचना को बड़ा झटका लगा है।
रूपेश अपने साथियों के साथ गुरुवार शाम को बीजापुर पुलिस मुख्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।
अंतिम औपचारिकता बस्तर जिले के जगदलपुर स्थित रिजर्व पुलिस लाइन में होगी, जो राज्य के नक्सल विरोधी अभियान के लिए एक प्रतीकात्मक और रणनीतिक जीत मानी जाएगी।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस आयोजन को एक महत्वपूर्ण मोड़ बताते हुए कहा कि बस्तर की ताकत वहां के लोगों की आत्मनिर्भरता, शिक्षा और सम्मान में निहित है।
उन्होंने कहा, "इन मूल्यों पर आधारित हमारा शासन मॉडल माओवादियों के दिलों में आशा और परिवर्तन ला रहा है।"
यह सामूहिक समर्पण एक बहुआयामी रणनीति का परिणाम है, जो सुरक्षा अभियानों को विकास के साथ जोड़ती है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि जिनके हाथ में हथियार हैं, उनके साथ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
गृह मंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि मार्च 2026 तक भारत से नक्सलवाद का सफाया हो जाएगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य ने न केवल सशस्त्र खतरों को बेअसर करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं, बल्कि उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले तत्वों को खत्म करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे और आजीविका सृजन में की गई पहलों ने क्षेत्र की तस्वीर को नया आकार देना शुरू कर दिया है।
इस सफलता का श्रेय पुलिस और अर्धसैनिक बलों के समन्वित प्रयासों, स्थानीय प्रशासन की सक्रिय भूमिका और जनजातीय समुदायों में बढ़ती जागरूकता को दिया जाता है।
जन प्रतिनिधियों ने भी सरकार और दूरदराज की आबादी के बीच विश्वास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।