क्या जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर घुसपैठ की कोशिश विफल हुई? दो आतंकवादी मारे गए!

सारांश
Key Takeaways
- जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया।
- ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकवाद के तंत्र को खत्म करने का प्रयास चल रहा है।
- सुरक्षा बल 24/7 सीमा पर निगरानी रख रहे हैं।
- ड्रग तस्कर और हवाला रैकेट भी सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं।
श्रीनगर, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर रविवार को संयुक्त सुरक्षा बलों ने घुसपैठ की एक कोशिश को नाकाम करते हुए दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया।
सूत्रों के अनुसार, संयुक्त बलों ने जिले के केरन सेक्टर में एलओसी पर घुसपैठ की कोशिश को विफल कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि इलाके में ऑपरेशन अभी भी जारी है। एलओसी पर संदिग्ध गतिविधियों के बाद सतर्क सैनिकों ने एंटी-इनफिल्ट्रेशन ऑपरेशन शुरू किया।
भारत की सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के बाद, सुरक्षा बल आतंकवादियों, उनके सहयोगियों और समर्थकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर रहे हैं।
यह आतंकवाद विरोधी रणनीति में बदलाव का हिस्सा है ताकि सिर्फ बंदूकधारी आतंकवादियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, आतंकवाद के पूरे तंत्र को समाप्त किया जा सके।
सुरक्षा बल आतंकियों, उनके समर्थकों और सहानुभूति रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। ड्रग तस्कर और हवाला रैकेट भी निशाने पर हैं, क्योंकि इनसे मिलने वाला पैसा आतंकवाद को बढ़ावा देने में इस्तेमाल होता है।
भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) इस बार एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर 24/7 निगरानी रख रहे हैं, ताकि सर्दियों में बर्फबारी से पहले आतंकवादी सीमा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश न कर सकें।
जम्मू-कश्मीर में 740 किलोमीटर लंबी एलओसी है जिसकी सुरक्षा सेना करती है और 240 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है जिसकी सुरक्षा बीएसएफ करती है।
एलओसी घाटी के बारामूला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों और जम्मू संभाग के राजौरी, पुंछ और जम्मू जिलों के कुछ हिस्सों में स्थित है।
पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना की मदद से काम करने वाले आतंकवादी संगठन आतंकवाद को जारी रखने के लिए हथियारों, गोला-बारूद, नकदी और ड्रग्स जैसे सामान ले जाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं।
अधिकतर मामलों में, आतंकवादी संगठन इन सामानों को इकट्ठा करते हैं। बीएसएफ एंटी-ड्रोन उपकरण का उपयोग कर रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से भेजे जाने वाले ड्रोन के खतरे पर काबू पाया गया है।