क्या जम्मू-कश्मीर में आरक्षण विवाद ने राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया?

Click to start listening
क्या जम्मू-कश्मीर में आरक्षण विवाद ने राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया?

सारांश

जम्मू-कश्मीर में आरक्षण विवाद ने छात्रों के आंदोलन के माध्यम से एक नई राजनीतिक गर्मी पैदा कर दी है। मीरवाइज उमर फारूक की तीखी टिप्पणियाँ इस मुद्दे को और भी गंभीर बना रही हैं। जानें इस विवाद की तह में क्या है और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।

Key Takeaways

  • आरक्षण नीति में परिवर्तन ने छात्रों में असंतोष बढ़ाया है।
  • मीरवाइज उमर फारूक ने केंद्र और राज्य प्रशासन की नीतियों की आलोचना की है।
  • छात्रों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन राजनीतिक तनाव का कारण बना है।
  • सरकार ने विवाद के समाधान के लिए कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया है।
  • यह मुद्दा युवाओं के भविष्य से जुड़ा हुआ है।

जम्मू, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन एक बार फिर से राजनीतिक तनाव का प्रमुख कारण बन गया है। इस संदर्भ में, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और कश्मीर के महत्वपूर्ण धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक ने केंद्र और स्थानीय प्रशासन की कड़ी आलोचना की।

मीरवाइज उमर फारूक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, "कश्मीर में या कश्मीर से जुड़े हर मुद्दे पर प्रशासन का सामान्य उत्तर होता है- बल का प्रयोग। भले ही यह छात्रों का शांतिपूर्ण धरना हो जो एकतरफा आरक्षण नीति का विरोध कर रहे हों, जो उनके भविष्य को संदेह में डाल रही है, और न्याय की मांग कर रहे हों।"

उन्होंने यह भी कहा, "हम उन नेताओं, सक्रियता करने वालों और कुछ छात्र नेताओं को नजरबंद करने की कड़ी निंदा करते हैं जो छात्रों का समर्थन कर रहे हैं।"

मीरवाइज ने आगे कहा कि यह युवाओं की एक गंभीर चिंता है, जिसे दंडित करने के बजाय तात्कालिक समाधान की आवश्यकता है, अन्यथा यह बड़ा रूप ले सकता है।

उन्होंने चुनी हुई सरकार पर अपनी जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि इसे पूरा करना सरकार का कर्तव्य है। इसके साथ ही, उन्होंने हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और भारत के अन्य भागों में कश्मीरियों के साथ हो रहे उत्पीड़न पर गंभीर ध्यान देने की मांग की।

यह विवाद पिछले वर्ष से चल रहा है, जब जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नियमों में संशोधन के बाद ओपन मेरिट (सामान्य वर्ग) का कोटा सरकारी नौकरियों और प्रवेश में 50 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत से कम कर दिया गया, जबकि आरक्षित श्रेणियों का कोटा 60 प्रतिशत से अधिक हो गया। सामान्य वर्ग के छात्रों का तर्क है कि यह नीति उनके भविष्य को प्रभावित कर रही है और असंतुलित है।

बता दें कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी, पीडीपी के विधायक वहीद पारा और अन्य नेता शामिल थे। सरकार ने कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया और दिसंबर 2025 में कुछ श्रेणियों में कोटा कम करने की मंजूरी दी, लेकिन छात्रों का कहना है कि पर्याप्त बदलाव नहीं हुए।

Point of View

वहीं दूसरी ओर सरकार की नीतियां भी सवालों के घेरे में हैं। यह समय है कि सभी पक्ष एक साथ बैठकर इस मुद्दे का समाधान निकालें, ताकि शांति और स्थिरता बनी रहे।
NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

आरक्षण विवाद का मुख्य कारण क्या है?
आरक्षण विवाद का मुख्य कारण सरकारी नौकरियों और प्रवेश में ओपन मेरिट का कोटा कम करना और आरक्षित श्रेणियों का कोटा बढ़ाना है।
मीरवाइज उमर फारूक का इस विवाद पर क्या कहना है?
मीरवाइज उमर फारूक ने बल प्रयोग की नीति की आलोचना करते हुए छात्रों का समर्थन करने की अपील की है।
छात्रों का प्रदर्शन कब हुआ था?
छात्रों का प्रदर्शन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर बड़े पैमाने पर हुआ था।
सरकार ने इस विवाद को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया और कुछ श्रेणियों में कोटा कम करने की मंजूरी दी।
यह विवाद कश्मीर के युवाओं पर कैसे प्रभाव डाल रहा है?
यह विवाद कश्मीर के युवाओं में असंतोष और चिंता पैदा कर रहा है, जो उनके भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
Nation Press