क्या जदयू महासचिव मनीष वर्मा ने 'पीले रंग' को लेकर लोगों को सचेत किया?

सारांश
Key Takeaways
- पीला रंग लोगों को गुमराह करने का प्रतीक है।
- फर्जी कार्ड से निजी जानकारी चुराने का खतरा है।
- शराबबंदी के खिलाफ जो लोग आवाज उठाते हैं, उनके इरादे संदिग्ध हैं।
- जदयू की नीति जनता की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करना है।
- लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
पटना, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के अलौली विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जदयू के महासचिव मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि कुछ लोग विभिन्न तरीकों से जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने विशेष तौर पर पीले रंग की कुर्सी, पीले कपड़े और पीले स्कार्फ का उल्लेख करते हुए कहा, "जो लोग इस रंग का दिखावा करके जनता के बीच पहुँचते हैं, उनसे सावधान रहना आवश्यक है।"
उन्होंने आगे कहा, "ऐसे लोग आपको आकर्षक कार्ड देते हैं और दावा करते हैं कि इस कार्ड के माध्यम से आपको सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा, लेकिन सच्चाई यह है कि वे इन कार्डों के माध्यम से आपसे आधार नंबर और मोबाइल नंबर जैसी निजी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। कई बार पहले भी ऐसे फर्जीवाड़े सामने आ चुके हैं, जहाँ लोगों के बैंक खातों से पैसे चोरी हो गए हैं।" उन्होंने लोगों से निवेदन किया कि ऐसे किसी भी कार्ड को न स्वीकारें और न ही अपने दस्तावेज किसी अनजान व्यक्ति को दें।
मनीष कुमार वर्मा ने कहा, "जो लोग शराबबंदी हटाने की बात करते हैं, उनके पास किताबें नहीं, बल्कि शराब की बोतलें होती हैं।" उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि ऐसे लोग चाहते हैं कि आपके बच्चे शिक्षा की जगह नशे की राह पर चलें, लेकिन जदयू ऐसी सोच को कभी स्वीकार नहीं करेगी।
इस अवसर पर मनीष वर्मा ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे घर-घर जाकर लोगों को इन फर्जीवाड़ों और गुमराह करने वाली चालों के खिलाफ सचेत करें। उन्होंने कहा कि जदयू की नीति जनता की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
वहीं, दूसरी ओर राजद नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कश्मीर में अशोक स्तंभ से जुड़े विवाद पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे 'फालतू की बात' बताया और कहा कि जो भी इस तरह की हरकत करेगा, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।