क्या झारखंड हाईकोर्ट ने पेसा कानून लागू करने के लिए सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी?
सारांश
Key Takeaways
- पेसा कानून की नियमावली लागू करने का आदेश
- सरकार को तीन सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करनी है
- आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा का मुद्दा
रांची, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य में पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) अधिनियम, १९९६ की नियमावली अब तक लागू न किए जाने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने नियमावली को अंतिम रूप देने और इसे लागू करने के लिए राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इससे पहले ९ सितंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य में पेसा कानून लागू होने तक बालू घाट सहित सभी लघु खनिजों की नीलामी पर रोक लगा दी थी। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान पंचायती राज विभाग के सचिव कोर्ट में उपस्थित रहे।
सरकार की ओर से बताया गया कि पेसा नियमावली का मसौदा कैबिनेट कोऑर्डिनेशन कमेटी को भेजा गया था, जहां कुछ त्रुटियां पाई गईं। इन्हें ठीक कर विभाग एक सप्ताह में संशोधित मसौदा फिर से कैबिनेट कमेटी को भेजेगा। इस पर कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह का समय देते हुए स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखा।
इस मामले में पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की थी कि सरकार ७३वें संविधान संशोधन की मंशा को कमजोर कर रही है। इससे अनुसूचित जनजातीय इलाकों में स्थानीय निकायों के अधिकारों की अनदेखी हो रही है।
बता दें कि वर्ष १९९६ में केंद्र सरकार ने पेसा कानून लागू किया था, जिसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के हितों और ग्राम सभाओं के अधिकारों की रक्षा करना है। झारखंड के गठन के बाद अब तक राज्य में इसकी नियमावली अधिसूचित नहीं की गई है। वर्ष २०१९ और २०२३ में इसका ड्राफ्ट तैयार किया गया था, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया। इस देरी को लेकर आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से जनहित याचिका और बाद में अवमानना याचिका दायर की गई थी।