क्या मंत्री ने भलस्वा लैंडफिल साइट का सफल निरीक्षण किया?

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क्या मंत्री ने भलस्वा लैंडफिल साइट का सफल निरीक्षण किया?

सारांश

दिल्ली के शहरी विकास मंत्री आशीष सूद ने भलस्वा लैंडफिल साइट का निरीक्षण कर बायो-माइनिंग, कचरा प्रोसेसिंग और धूल प्रदूषण नियंत्रण के कार्यों का मूल्यांकन किया। उन्होंने अधिकारियों को प्रदूषण की समस्या को कम करने के लिए जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं। क्या यह कदम दिल्ली को कूड़े के पहाड़ों से मुक्त कर पाएगा?

Key Takeaways

  • भलस्वा लैंडफिल साइट की स्थिति की गंभीरता को समझना आवश्यक है।
  • बायो-माइनिंग और कचरा प्रोसेसिंग के कार्यों का प्रभावी कार्यान्वयन आवश्यक है।
  • प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी संबंधित विभागों का सहयोग आवश्यक है।
  • नई तकनीकों का उपयोग कर कचरे के निपटान में सुधार किया जा सकता है।
  • दिल्ली को 'लैंडफिल-मुक्त' बनाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।

नई दिल्ली, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के शहरी विकास मंत्री आशीष सूद ने गुरुवार को भलस्वा लैंडफिल साइट का निरीक्षण किया और वहां चल रहे बायो-माइनिंग, कचरा प्रोसेसिंग और धूल प्रदूषण नियंत्रण के कार्यों का मूल्यांकन किया। इस दौरान दिल्ली नगर निगम एवं संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। सूद ने साइट पर जाकर बायो-माइनिंग कार्यों, ट्रोमल मशीन की कार्यप्रणाली और प्री प्रोसेस्ड कचरे के निस्तारण की व्यवस्था का निरीक्षण किया।

आशीष सूद ने बताया कि उन्होंने 17 सितंबर को भी भलस्वा साइट का दौरा किया था और वहां पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए संबंधित अधिकारियों को कुछ दिशा निर्देश दिए थे। आज का दौरा उन्हीं निर्देशों की अनुपालना के लिए किया गया था। सूद ने बताया कि भलस्वा लैंडफिल साइट पर प्रतिदिन लगभग 4000 एमटी नया कूड़ा आता है, जिसे वैज्ञानिक तरीके से निपटाने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि यहां कूड़ा डालने वाली गाड़ियों के प्रतिदिन 800 से अधिक चक्कर लगते हैं, जिससे 7000 लीटर डीजल की खपत होती है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। इसके अलावा, 16 ट्रोमल मशीनें कूड़ा निस्तारण में लगी हुई हैं, जिससे धूल उड़ती है और इससे भी प्रदूषण होता है।

मंत्री ने डस्ट प्रदूषण को कम करने के लिए एमसीडी के अधिकारियों और कचरा प्रोसेस करने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों को तत्काल 6 एंटी स्मोग गन और 12 स्प्रिंकलर लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को प्रदूषण के दृष्टिकोण से ‘हॉटस्पॉट’ घोषित किया जाना चाहिए, ताकि यहां विशेष निगरानी रखी जा सके। इसके साथ ही, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस पूरे क्षेत्र का ड्रोन सर्वे कराया जाए और बचे हुए कचरे का अलग से असेसमेंट कर रिपोर्ट 10 दिन के भीतर प्रस्तुत करें।

उन्होंने बताया कि भलस्वा लैंडफिल साइट पर करोल बाग, एसपी जोन और नरेला जोन आदि से मिलकर 23 वार्डों का कूड़ा आता है। दिल्ली में सबसे अधिक कूड़ा यहीं आता है। इसके आसपास के क्षेत्रों जैसे बादली, जहांगीर पूरी, मॉडल टाउन, शालीमार बाग और आदर्श नगर में प्रदूषण का प्रभाव सबसे ज्यादा है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि नए कूड़े के साथ-साथ प्रतिदिन इसका निपटान भी सुनिश्चित किया जाए, जिससे नया ‘कूड़े का पहाड़’ न बने।

निरीक्षण के दौरान आशीष सूद ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की समस्या केवल राजधानी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके लिए पड़ोसी राज्यों का भी योगदान है। नरेला, खरखौदा और सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। भलस्वा लैंडफिल साइट अपने आप में एक बड़ा प्रदूषण स्रोत है।

उन्होंने बताया कि भलस्वा लैंडफिल साइट 1994 से संचालित हो रही है और 2019 में इसकी ऊंचाई 65 मीटर तक पहुंच गई थी। उस समय साइट पर लगभग 80 लाख मीट्रिक टन लिगेसी वेस्ट मौजूद था। उन्होंने आगे बताया कि 2022 में लिगेसी वेस्ट की मात्रा लगभग 73 लाख मीट्रिक टन थी। जुलाई 2022 से 7 नवंबर 2025 तक करीब 36.29 लाख मीट्रिक टन ताजा ठोस कचरा, सिल्ट और मलबा यहां डंप किया गया। कुल मिलाकर, 109.29 लाख मीट्रिक टन में से 68.82 लाख मीट्रिक टन की बायोमाइनिंग 7 नवंबर 2025 तक पूरी की जा चुकी है। शेष लगभग 40.47 लाख मीट्रिक टन कचरा अब भी यहीं पर मौजूद है।

मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के आने के बाद भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े की बायो माइनिंग का काम तेजी से चल रहा है, इसके अच्छे परिणाम जल्द ही देखने को मिलेंगे। सूद ने बताया कि नए कूड़े के निपटान के लिए भलस्वा लैंडफिल साइट पर 10 एकड़ भूमि उपलब्ध हो गई है, जिस पर गीले कूड़े की प्रोसेसिंग का काम दिसंबर 2025 तक चालू हो जाएगा।

उन्होंने एमसीडी के अधिकारियों को भलस्वा साइट पर आग की घटनाएं रोकने के लिए शीघ्र और प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यहां आग लगने से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि लैंडफिल साइट से कचरे की ऊंचाई में कमी लाने और प्रोसेसिंग की गति बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक कदम तेजी से उठाए जाएं। साथ ही, आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण और दुर्गंध की समस्या को रोकने के लिए प्रभावी उपाय सुनिश्चित किए जाएं।

सूद ने कहा कि दिल्ली सरकार की प्राथमिकता स्वच्छ और स्वस्थ दिल्ली है। लैंडफिल साइटों के वैज्ञानिक प्रबंधन, कूड़े को अलग करना और रीसाइक्लिंग पर विशेष जोर दिया जा रहा है ताकि आने वाले समय में दिल्ली को ‘लैंडफिल-मुक्त’ बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार राजधानी को कूड़े के पहाड़ों से मुक्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

Point of View

जो केवल राजधानी तक सीमित नहीं है। इसके लिए पड़ोसी राज्यों का योगदान भी महत्वपूर्ण है। भलस्वा लैंडफिल साइट जैसे स्थानों पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए उचित कदम उठाना आवश्यक है। यह एक राष्ट्रीय चिंता है, और हमें एक साथ मिलकर इसे सुलझाना होगा।
NationPress
13/11/2025

Frequently Asked Questions

भलस्वा लैंडफिल साइट कब से संचालित हो रही है?
भलस्वा लैंडफिल साइट 1994 से संचालित हो रही है।
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ रहा है?
नरेला, खरखौदा और सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।
मंत्री ने कूड़े के निस्तारण के लिए क्या कदम उठाए हैं?
मंत्री ने 6 एंटी स्मोग गन और 12 स्प्रिंकलर लगाने के निर्देश दिए हैं।
भलस्वा लैंडफिल साइट से कितनी मात्रा में कचरा आता है?
भलस्वा लैंडफिल साइट पर प्रतिदिन लगभग 4000 मीट्रिक टन नया कूड़ा आता है।
दिल्ली सरकार की प्राथमिकता क्या है?
दिल्ली सरकार की प्राथमिकता स्वच्छ और स्वस्थ दिल्ली है।