क्या झारखंड में कोल प्रोजेक्ट का काम शुरू करने पर ग्रामीणों का विरोध सही है?

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क्या झारखंड में कोल प्रोजेक्ट का काम शुरू करने पर ग्रामीणों का विरोध सही है?

सारांश

झारखंड के धनबाद जिले में आसनबनी स्थित कोल परियोजना के कार्य की शुरुआत पर ग्रामीणों का उग्र विरोध हुआ। पुलिस ने लाठी चार्ज किया, जिससे 10 लोग घायल हो गए। क्या यह विरोध उचित है? जानें इस विवाद की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • ग्रामीणों का विरोध: आसनबनी में कोल परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का उग्र विरोध।
  • लाठीचार्ज की घटना: पुलिस ने विरोध को दबाने के लिए लाठीचार्ज किया।
  • घायलों की संख्या: कम से कम 10 लोग घायल हुए, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।
  • सेल का दावा: सेल प्रबंधन ने मुआवजा और पुनर्वास की बात कही है।
  • तनावपूर्ण स्थिति: संघर्ष के बाद स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है।

धनबाद, ११ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के धनबाद जिले में शुक्रवार को आसनबनी स्थित सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि.) की टासरा ओपेनकास्ट कोल परियोजना के कार्य के आरंभ का उग्र विरोध कर रहे ग्रामीणों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया है।

इस लाठीचार्ज में कम से कम १० ग्रामीण घायल हो गए हैं, जिनमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं। एक घायल महिला की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। हिंसक टकराव के कारण स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। पुलिस-प्रशासन का कहना है कि कोल परियोजना के लिए अधिग्रहीत जमीन पर जबरन काम रोक रहे लोगों को हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया है। इस परियोजना के विस्तार के लिए बलियापुर प्रखंड के आसनबनी, कालीपुर और सरिसाकुंडी गांव के स्थानीय रैयतों की करीब ४२ एकड़ जमीन ली गई है, लेकिन कई रैयत अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

शुक्रवार को अधिग्रहीत जमीन का सीमांकन और समतलीकरण करने के लिए सेल की टीम पांच-छह जेसीबी लेकर आसनबनी गांव पहुंची तो सैकड़ों स्त्री-पुरुष इसका विरोध करने लगे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे अपनी जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं लेने देंगे। मौके पर मौजूद पुलिस के सशस्त्र बल ने परियोजना का काम शुरू करने के लिए ग्रामीणों को हटाने की कोशिश की, तो दोनों तरफ से हाथापाई और धक्का-मुक्की शुरू हो गई।

इस बीच पुलिस ने लाठियां भांजी तो भगदड़ मच गई। संघर्ष में कई महिलाओं और पुरुषों को चोटें आई हैं। घायलों का इलाज स्थानीय अस्पतालों में चल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि सेल प्रबंधन जबरन उनकी जमीन छीनने पर आमादा है। उनकी रोजी-रोटी गांव की जमीन पर खेतीबाड़ी से ही चलती है।

दूसरी ओर, सेल प्रबंधन का दावा है कि अधिग्रहीत जमीन के एवज में ८५ प्रतिशत से अधिक रैयतों को मुआवजे का भुगतान कर दिया गया है। यही नहीं, उनके पुनर्वास के लिए सभी तरह की सुविधाओं से युक्त टाउनशिप भी विकसित की गई है। केवल कुछ लोग परियोजना के काम में बाधा डाल रहे हैं। कुछ दिन पहले भी सेल की टीम यहां काम करने पहुंची थी तो वाहन चालकों के साथ मारपीट की गई थी। बहरहाल, संघर्ष और लाठी चार्ज की घटना को लेकर तनाव की स्थिति बरकरार है।

Point of View

NationPress
19/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या लाठीचार्ज करना उचित था?
लाठीचार्ज एक अंतिम उपाय होता है, लेकिन इसे उचित परिस्थितियों में ही लागू किया जाना चाहिए।
ग्रामीणों को मुआवजा मिल रहा है?
सेल प्रबंधन का दावा है कि 85 प्रतिशत से अधिक रैयतों को मुआवजा दिया गया है।