क्या योग्य अभ्यर्थियों को मिलेगा दोबारा अवसर, शिक्षा के माध्यम से होगा विकास: सीएम हेमंत सोरेन?
सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री ने नए कोचिंग संस्थान का उद्घाटन किया।
- विद्यार्थियों को दोबारा अवसर देने की योजना है।
- शिक्षा के साथ-साथ खेल-कूद के विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता।
- राज्य में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना से छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता।
रांची, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को रांची के हिंदपीढ़ी में स्थित “दिशोम गुरु शिबू सोरेन इंजीनियरिंग (जेईई) एवं मेडिकल (एनईईट) कोचिंग संस्थान” का औपचारिक उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने दिशोम गुरु शिबू सोरेन की प्रतिमा का अनावरण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने संस्थान का दौरा किया और विद्यार्थियों के साथ संवाद कर उनके उत्साह को बढ़ाया। उन्होंने कहा कि झारखंड की नई पीढ़ी को अपने सपनों को पूरा करने के लिए अब राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। राज्य के बच्चे अब उच्च स्तरीय कोचिंग सुविधाएं यहीं रांची में प्राप्त करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संस्थान सिर्फ एक शिक्षा केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी बनेगा। उन्होंने विद्यार्थियों से अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा को साझा करने का आग्रह किया, ताकि झारखंड की विविधता और एकता को और बढ़ावा मिले।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन अभ्यर्थियों को दोबारा मौका दिया जाए जो एबिलिटी टेस्ट में मामूली अंतर से पीछे रह गए थे। उन्होंने बताया कि कई बार परिस्थितियों के कारण विद्यार्थी अपनी वास्तविक क्षमता नहीं दिखा पाते, इसलिए उन्हें पुनः अवसर देना एक न्यायपूर्ण और प्रेरणादायक कदम होगा। इससे न केवल अधिक विद्यार्थियों को मंच मिलेगा, बल्कि राज्य की प्रतिभा का दायरा भी बढ़ेगा।
इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने खेल-कूद की व्यवस्थाओं को और मजबूत करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा के साथ-साथ खेल भी छात्रों में अनुशासन, टीम भावना और प्रतिस्पर्धात्मक सोच का विकास करता है।
उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और सकारात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना का संचार करें, ताकि ये युवा आगे चलकर न केवल राज्य, बल्कि देश का नाम भी रोशन करें।
झारखंड सरकार शिक्षा को राज्य के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का मुख्य आधार मानते हुए लगातार ठोस कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है।
इसी सोच के अनुरूप राज्य में विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका प्रत्यक्ष लाभ लाखों विद्यार्थियों तक पहुंच रहा है।
उन्होंने बताया, “सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना” के तहत किशोरियों को न केवल शिक्षा का अवसर मिल रहा है, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी प्रेरणा मिल रही है। इसी प्रकार प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं से पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति-जनजाति और अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता मिल रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अब तक 80 उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना हो चुकी है, जहां गरीब और मजदूर वर्ग के बच्चे निजी विद्यालयों के समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत आदिवासी और मूलवासी छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए संपूर्ण सरकारी सहायता दी जा रही है।
युवाओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने की दिशा में गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना भी एक महत्वाकांक्षी कदम साबित हो रही है, जिसके तहत विद्यार्थी 15 लाख रुपए तक का शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं और नौकरी लगने के बाद इसे आसान किश्तों में चुका सकते हैं।