क्या झारखंड में भी एसआईआर पर सियासत तेज हो रही है?

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क्या झारखंड में भी एसआईआर पर सियासत तेज हो रही है?

सारांश

बिहार के बाद झारखंड में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासी बवाल मचा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अन्य नेताओं का आरोप है कि यह प्रक्रिया संविधान की भावना के खिलाफ है। क्या यह राजनीति का नया मोड़ है?

Key Takeaways

  • मतदाता सूची का पुनरीक्षण एक सामान्य प्रक्रिया है।
  • मुख्यमंत्री ने इसे संविधान के खिलाफ बताया।
  • स्वास्थ्य मंत्री ने इसे साजिश करार दिया।
  • राज्य की सत्तारूढ़ पार्टियां विरोध कर रही हैं।
  • भाजपा का कहना है कि यह सामान्य प्रक्रिया है।

रांची, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के बाद अब झारखंड में भी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इस पर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। झामुमो-कांग्रेस-राजद का सत्तारूढ़ गठबंधन 4 अगस्त को विधानसभा में इस पर प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजने का निर्णय लिया है। भाजपा और जदयू के नेताओं का कहना है कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण चुनाव आयोग की सामान्य प्रक्रिया है और इसका विरोध बेमतलब है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह प्रक्रिया संविधान की भावना के खिलाफ है और इससे गरीब, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक मतदाता प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा, “झारखंड की जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और इस जनविरोधी प्रक्रिया का विरोध किया जाएगा।”

स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने बताया कि यह प्रक्रिया मुस्लिम, दलित और आदिवासी समाज को मतदाता सूची से बाहर करने की एक साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर के माध्यम से भाजपा अपनी हार को रोकने की कोशिश कर रही है और इस मुद्दे पर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “बिहार की तरह झारखंड में भी विपक्ष की राय के बिना यह प्रक्रिया थोपी जा रही है। जीएसटी की तरह केंद्र फिर एक बार बिना तैयारी के यह कदम उठा रहा है, जिसका नुकसान जनता को उठाना पड़ेगा।”

कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग को आधार कार्ड को वोटर कार्ड से लिंक करना चाहिए, ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके। उन्होंने कहा कि एसआईआर के पीछे भाजपा को फायदा पहुंचाने की मंशा है।

वहीं, जदयू विधायक सरयू राय ने एसआईआर का समर्थन करते हुए कहा कि निष्पक्ष चुनाव कराना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है और इसी प्रक्रिया के तहत एसआईआर लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फर्जी वोटरों को रोकना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

भाजपा विधायक सत्येंद्र तिवारी ने कहा कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टियां चुनाव से पहले ही अपनी हार से डरी हुई हैं और एसआईआर का विरोध कर रही हैं।

उल्लेखनीय है कि राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने मतदाता सूची पुनरीक्षण की तैयारी के लिए सभी जिलों के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की थी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता आवश्यक है। एसआईआर का उद्देश्य सही मतदाता पहचान होना चाहिए, लेकिन इसे राजनीतिक विवादों में न उलझाना चाहिए। सभी दलों को मिलकर जनहित में काम करना चाहिए।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर क्या है?
एसआईआर का मतलब मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण है।
क्या एसआईआर संविधान के खिलाफ है?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि यह प्रक्रिया संविधान की भावना के खिलाफ है।
इस पर राजनीतिक विवाद क्यों है?
सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के बीच मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर मतभेद है।
भाजपा का इस पर क्या कहना है?
भाजपा का कहना है कि यह चुनाव आयोग की सामान्य प्रक्रिया है।
क्या इस पर विधानसभा में प्रस्ताव पारित होगा?
जी हाँ, 4 अगस्त को विधानसभा में इस पर प्रस्ताव पारित करने की योजना है।