क्या आप जानते हैं 'माचिस' के 29 साल पूरे होने पर जिम्मी शेरगिल ने क्या यादें ताजा की?
सारांश
Key Takeaways
- जिम्मी शेरगिल का करियर 'माचिस' से शुरू हुआ।
- फिल्म गुलजार द्वारा निर्देशित है।
- फिल्म १९८० के दशक के सिख आंदोलन पर आधारित है।
- फिल्म का संगीत आज भी लोकप्रिय है।
- जिम्मी की मेहनत ने उन्हें सफलता दिलाई।
मुंबई, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेता जिम्मी शेरगिल की पहली फिल्म 'माचिस' के रिलीज को २९ साल पूरे हो गए हैं। शनिवार को अभिनेता ने इस फिल्म की पुरानी यादों को फिर से ताजा किया।
जिम्मी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर फिल्म का एक क्लिप साझा किया, जिसमें उन्होंने कैप्शन में लिखा, "२९ साल पहले क्लासिक फिल्म 'माचिस' रिलीज हुई थी, जिसे प्रसिद्ध लेखक-निर्देशक गुलजार साहब ने बनाया था।"
यह फिल्म १९८० के दशक में पंजाब में हुए उथल-पुथल (सिख आंदोलन) की पृष्ठभूमि पर आधारित थी। फिल्म की कहानी और संगीत विशाल भारद्वाज ने प्रस्तुत किया, जो आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।
जिम्मी ने बताया कि जब माचिस रिलीज हुई थी, तब वह महज २९ साल के थे और उन्हें फिल्मों का बहुत शौक था। इसी शौक ने उन्हें गुलजार के सेट पर पहुंचाया। उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर बनने की इच्छा जताई, लेकिन गुलजार ने उनकी मेहनत को देखकर अभिनय का अवसर दिया। यहीं से जिम्मी का फिल्मी सफर शुरू हुआ, जो तीन दशकों तक चला।
जिम्मी कहते हैं, "कभी-कभी लगता है कि किस्मत इंसान को वहीं ले जाती है, जहां उसे होना चाहिए। गुलजार साहब ने मेरी मेहनत देखी और मुझे फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर दिया, और संयोग से उस किरदार का नाम भी मेरे निकनेम जैसा रखा गया, जैमल (जिम्मी)।"
उस दिन से जिम्मी शेरगिल का फिल्मी सफर शुरू हुआ। आज २९ साल बाद, उन्होंने विभिन्न किरदार निभाकर दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बना ली है।
यह २९ साल सिर्फ फिल्मों का सफर नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसने सपने देखे, मेहनत की और अपने सपनों को साकार किया।
फिल्म में चंद्रचूड़ सिंह, तब्बू और ओम पुरी जैसे दिग्गज कलाकारों ने भी अभिनय किया था। गुलजार द्वारा निर्देशित यह एक राजनीतिक थ्रिलर फिल्म है, जो १९८० के दशक के मध्य में पंजाब में हुए सिख विद्रोह की पृष्ठभूमि पर आधारित है। यह फिल्म आम आदमी के आतंकवाद में फंसने के सफर को दर्शाती है, जिसे आलोचकों से बहुत सराहना मिली थी। फिल्म का संगीत, जिसे विशाल भारद्वाज ने कंपोज किया, आज भी लोगों के दिलों में बसता है।