क्या एनडीए से जीतन राम मांझी को कोई नाराजगी है?

सारांश
Key Takeaways
- जीतन राम मांझी का एनडीए से कोई नाराजगी नहीं है।
- वे अपने हक की मांग कर रहे हैं।
- सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए से बातचीत चल रही है।
- अगर उन्हें बल मिलेगा, तो वे एनडीए को मजबूत करेंगे।
- उनकी पार्टी के मतदाता संख्या भी महत्वपूर्ण है।
पटना, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में यह स्पष्ट किया कि एनडीए से उनकी कोई नाराजगी नहीं है। वह केवल अपना हक मांग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए के नेताओं से निवेदन किया जा रहा है। जो व्यक्ति एक या दो विधायकों के साथ है, वह खुद को बड़ा समझता है। हम अपमान का घूंट कब तक पीते रहेंगे?
उन्होंने आगे कहा कि यदि एनडीए हमें समर्थन देगा तो हम उसे और मजबूत बनाएंगे। हम हर समय एनडीए के साथ हैं, और एनडीए का दायित्व है कि हमें अपमानित न होने दे।
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में हमें सात सीटें मिली थीं, जिनमें से चार पर जीत हासिल की थी। आज हम 60 प्रतिशत स्कोरिंग सीट लाने की बात कर रहे हैं ताकि हम आठ सीटें जीत सकें। इसीलिए हम 15 सीटें मांग रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि हमारी पार्टी मान्यता प्राप्त नहीं होती है, तो चुनाव लड़ने का क्या लाभ? हम एनडीए के साथ रहेंगे और अलग होने का कोई प्रश्न नहीं है।
हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि 70-80 सीटों पर हमारे 20 से 30 हजार मतदाता हैं। ऐसी स्थिति में यदि हम अकेले चुनाव लड़ते हैं, तो भी हमें 6 प्रतिशत वोट मिल सकता है, इस पर भी विचार चल रहा है।
इधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनडीए एक है और एक रहेगा।
वहीं, जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर चल रही खींचतान पर कहा कि इसमें पार्टियों की अपेक्षाएं होती हैं। अंततः तार्किक समाधान सभी दलों के सामूहिक नेतृत्व के माध्यम से निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि एनडीए में कोई असमंजस नहीं है, और शीघ्र ही आधिकारिक घोषणा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि बिहार में एक बड़ा जनादेश हासिल करने की दिशा में, जनता का आशीर्वाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ है। सभी दल उन्हें अपना अभिभावक मानते हैं; जल्द ही इसका समाधान निकल आएगा।