क्या जितेंद्र आव्हाड का काम हिंदुओं को बदनाम करना है? : मनीषा कायंदे

सारांश
Key Takeaways
- जितेंद्र आव्हाड के बयान ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया।
- मनीषा कायंदे का कहना है कि आव्हाड का उद्देश्य हिंदुओं को बदनाम करना है।
- एनआईए कोर्ट का फैसला 'हिंदू आतंकवाद' के झूठे नैरेटिव को साबित करता है।
- कांग्रेस और शिवसेना के बीच का संबंध भी चर्चा का विषय है।
- राजनीति में धर्म का उपयोग करने की प्रवृत्ति पर सवाल उठते हैं।
मुंबई, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। एनसीपी-एसपी नेता जितेंद्र आव्हाड के 'सनातन' के खिलाफ दिए गए बयान ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया है। इस पर शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जितेंद्र आव्हाड का उद्देश्य केवल हिंदुओं को बदनाम करना और मुस्लिम तुष्टीकरण करना है।
कायंदे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जितेंद्र आव्हाड हमेशा पुलिस प्रक्रिया और देश की व्यवस्था पर सवाल उठाते रहे हैं, ताकि उन्हें राजनीतिक लाभ मिल सके।
कायंदे ने पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के लिए 'भगवा' शब्द का उपयोग न करके 'सनातन' या 'हिंदुत्ववादी' शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए।
कायंदे ने कहा कि हमने कांग्रेस के तिलक भवन जाकर तालाबंदी की मांग की है। अब यह पार्टी 'पाकिस्तान नेशनल कांग्रेस' बन चुकी है। 'भगवा आतंकवाद' शब्द का सबसे पहले शरद पवार ने इस्तेमाल किया था, जबकि सच्चाई यह है कि हिंदू कभी आतंकवादी नहीं रहे। साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को झूठे मामलों में फंसाया गया। एनआईए कोर्ट के फैसले ने साबित कर दिया कि यह 'हिंदू आतंकवाद' का झूठा नैरेटिव था।
उन्होंने साध्वी प्रज्ञा पर हुए अत्याचारों के बारे में कहा कि 17 साल तक उन पर अत्याचार होता रहा। उन्हें मानसिक, शारीरिक और सामाजिक पीड़ा दी गई। संसद सदस्य होने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला। कर्नल पुरोहित, जो देश सेवा में थे, को भी साजिश का शिकार बनाया गया। हम एनआईए कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं।
मनीषा कायंदे ने उद्धव ठाकरे की इंडिया गठबंधन बैठक में भागीदारी को लेकर कहा कि शिवसेना मुखपत्र 'सामना' में भी 'भगवा आतंकवाद' की आलोचना की गई थी और आज वही कांग्रेस इस गठबंधन में प्रमुख भूमिका निभा रही है। अगर शिवसेना वास्तव में 'भगवा' विचारधारा पर अडिग है, तो उन्हें महाविकास अघाड़ी और इंडिया गठबंधन से बाहर आ जाना चाहिए।