क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा इस बार बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगा?

सारांश
Key Takeaways
- झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार में स्वतंत्र चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
- पार्टी ने इंडी गठबंधन से अलग होने का फैसला किया।
- बिहार में 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना है।
- सुप्रियो भट्टाचार्य ने गठबंधन धर्म पर प्रकाश डाला।
- पार्टी आदिवासी हितों की नीतियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
रांची, 16 जून (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव में इंडी गठबंधन से अलग एक स्वतंत्र राजनीतिक दल के रूप में उतर सकता है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को पार्टी कार्यालय में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि बिहार में हमारा अपना संगठन है और हम अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों और सीटों के बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन ने हाल ही में दो बैठकें आयोजित की थीं, लेकिन इस संदर्भ में झारखंड मुक्ति मोर्चा को कोई आमंत्रण नहीं मिला।
इस विषय पर मीडिया के सवालों के जवाब में झामुमो के महासचिव ने कहा, “अगर हमें नहीं बुलाया जा रहा है, तो हम जबरदस्ती शामिल नहीं होने जा रहे। हमारी एक स्वतंत्र पहचान है और यह निश्चित है कि हम वहां अपनी ताकत दिखाएंगे।”
भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस और राजद को हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि झारखंड में हमने उन्हें अपने साथ रखा और उनका उचित सम्मान किया। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद को झारखंड में मात्र एक सीट पर जीत मिली थी, लेकिन हमने उनके एकमात्र विधायक को पूरे पांच साल तक मंत्रिमंडल में बनाए रखा। ऐसा इसलिए, क्योंकि हम चुनाव में एक साथ थे और हमें गठबंधन धर्म का ध्यान रखना था। यही गठबंधन धर्म कांग्रेस और राजद को बिहार में भी दिखाना चाहिए।
यह उल्लेखनीय है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के हाल के महाधिवेशन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर ओडिशा, बिहार और अन्य राज्यों में संगठन के विस्तार का संकल्प लिया गया था। झारखंड मुक्ति मोर्चा पहले भी बिहार विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारता रहा है। 2010 में चकाई विधानसभा सीट पर झामुमो के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। इस बार पार्टी ने बिहार में झारखंड से सटी 12 विधानसभा सीटों को चिह्नित किया है, जहां उसका प्रभाव है। इन सीटों में तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रूपौली, रामपुर, बनमनखी, जमालपुर, पीरपैंती और चकाई शामिल हैं।
पार्टी का मानना है कि इन क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। यहां की आदिवासी हितों की नीतियां और झारखंड में किए गए कार्य मतदाताओं को आकर्षित कर सकते हैं। झामुमो ने पहले ही इन सीटों पर स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं।