क्या जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं?

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क्या जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं?

सारांश

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ 145 सांसदों द्वारा महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया संसद में शुरू होने जा रही है। जानिए इस मामले की गंभीरता और राजनीतिक दलों का समर्थन।

Key Takeaways

  • जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।
  • 145 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा।
  • इस मामले की जांच संसद करेगी।
  • जस्टिस वर्मा ने आरोपों को साजिश बताया।
  • महाभियोग प्रक्रिया के तहत आगे की कार्रवाई निर्धारित की जाएगी।

नई दिल्ली, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जस्टिस यशवंत वर्मा की परेशानियाँ बढ़ने जा रही हैं। जैसे ही संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हुई, 145 लोकसभा सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए लोकसभा अध्यक्ष को ज्ञापन प्रस्तुत किया है। सांसदों ने संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के अंतर्गत यह कदम उठाया है।

सूत्रों के अनुसार, इस ज्ञापन को कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, जेडीएस, जनसेना पार्टी, एजीपी, शिवसेना (शिंदे), एलजेएसपी, एसकेपी, सीपीएम जैसे विभिन्न दलों का समर्थन प्राप्त है। जिन 145 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, उनमें अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राहुल गांधी, राजीव प्रताप रूडी, पीपी चौधरी, सुप्रिया सुले और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से 15 मार्च 2025 को 500 रुपये के जले और अधजले नोट मिले थे। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से फैला। इसके बाद न्यायमूर्ति वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए। उन्होंने इन आरोपों से इनकार करते हुए इसे एक साजिश बताया था।

हालांकि, अब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संसद इन आरोपों की जांच करने की तैयारी कर रही है। महाभियोग प्रस्ताव के अंतर्गत आगे की प्रक्रिया संसद में विचार-विमर्श और जांच के बाद निर्धारित की जाएगी।

गौर करने योग्य है कि इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को एक आंतरिक जांच शुरू की थी और जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए हाई कोर्ट के तीन न्यायाधीशों का एक पैनल भी नियुक्त किया गया था।

बाद में, सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट करने की सिफारिश की थी। इसके बाद सरकार ने इस सिफारिश पर अपनी मुहर लगाई और वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में कार्यभार संभालने के लिए निर्देशित किया।

5 अप्रैल को जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की थी।

Point of View

बल्कि राजनीतिक दलों की एकजुटता और जनहित के मुद्दों पर भी प्रकाश डालता है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि न्यायालय में विश्वास बना रहे और किसी भी प्रकार की साजिशों को बेनकाब किया जाए।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव क्यों लाया गया?
जस्टिस यशवंत वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जिसके कारण 145 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया।
महाभियोग प्रस्ताव में किन-किन सांसदों ने हस्ताक्षर किए?
महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में अनुराग ठाकुर, राहुल गांधी, और अन्य प्रमुख नेता शामिल हैं।
क्या जस्टिस वर्मा ने आरोपों से इनकार किया?
हाँ, जस्टिस वर्मा ने आरोपों को साजिश बताया है और इनकार किया है।
इस मामले में अगला कदम क्या होगा?
संसद इस मामले की जांच करेगी और महाभियोग प्रस्ताव पर विचार करेगी।
जस्टिस वर्मा का वर्तमान कार्यस्थल क्या है?
जस्टिस वर्मा वर्तमान में इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं।