क्या ज्वाला गुट्टा ने ब्रेस्ट मिल्क दान किया? जानें 'लिक्विड गोल्ड' का महत्व

Click to start listening
क्या ज्वाला गुट्टा ने ब्रेस्ट मिल्क दान किया? जानें 'लिक्विड गोल्ड' का महत्व

सारांश

ज्वाला गुट्टा ने अपने 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क का दान कर एक नई मिसाल पेश की है। जानें इसके पीछे का महत्त्व और कैसे यह जीवन बचाने में सहायक है।

Key Takeaways

  • ज्वाला गुट्टा ने 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान किया।
  • लिक्विड गोल्ड नवजातों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
  • दान किए गए दूध को पाश्चुराइज किया जाता है।
  • भारत में ब्रेस्ट मिल्क दान मुफ्त है।
  • दूध दान की प्रक्रिया के लिए रक्त परीक्षण आवश्यक है।

नई दिल्ली, 16 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा अपने आक्रामक ड्रॉप शॉट्स और फोर फोरहैंड सर्विस के लिए जानी जाती हैं। हाल ही में उन्होंने एक ऐसी ‘सर्विस’ की जिसका चर्चा चारों ओर हो रहा है! उन्होंने लगभग 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान किया। उनके अभिनेता-निर्देशक पति विष्णु विशाल ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी साझा की।

यह दान ‘अमृतम फाउंडेशन’ के माध्यम से किया गया, जो माताओं से स्तन दूध इकट्ठा करके उसे जरूरतमंद नवजातों तक पहुंचाने का कार्य करता है। यह दूध आगे चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन को भेजा गया। भारत में पिछले तीन दशकों से अधिक समय से ब्रेस्ट मिल्क बैंक कार्य कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि इससे क्या लाभ है और यह कैसे जरूरतमंद शिशुओं तक पहुंचता है।

जब किसी स्वस्थ मां के शरीर में अपने बच्चे के लिए पर्याप्त दूध बनता है और साथ में अतिरिक्त दूध भी उत्पन्न होता है, तो वह इस अतिरिक्त दूध को ह्यूमन मिल्क बैंक में दान कर सकती है। वहां इस दूध को परीक्षण और पाश्चुराइज कर समय से पहले जन्मे या बीमार बच्चों को दिया जाता है। ये वही बच्चे होते हैं जिनकी माताएं दूध नहीं पिला पातीं। इसलिए इसे लिक्विड गोल्ड यानी तरल सोना कहा जाता है!

लिक्विड गोल्ड समय से पहले जन्मे और बीमार नवजात बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें शिशु के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व, एंटीबॉडी, और एंजाइम होते हैं। मां के दूध में जीवाणुनाशक तत्व होते हैं, जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मां एक दिन में औसतन 25-30 मिलीलीटर अतिरिक्त दूध दान कर सकती है, जो एक शिशु की जरूरतों को पूरा कर सकता है।

आखिर पूरा प्रक्रिया क्या है? दान किए गए दूध को पाश्चुराइज किया जाता है और फ्रीजर में 3 से 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। एक जरूरी बात, दात्री मां का पहले रक्त परीक्षण किया जाता है। मां पूरी तरह से स्वस्थ होनी चाहिए और उसे एचआईवी या हेपेटाइटिस जैसी कोई गंभीर बीमारी या संक्रमण नहीं होना चाहिए। दान के पहले चिकित्सा स्क्रीनिंग आवश्यक होती है। कुछ देशों में स्तन दूध की ऑनलाइन बिक्री होती है, लेकिन भारत में यह पूरी तरह मुफ्त और मानवता पर आधारित सेवा है, जैसे कि ज्वाला गुट्टा ने किया!

ज्वाला ने अप्रैल में बेटी को जन्म दिया। तभी से यह क्रम चालू है। 17 अगस्त को उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया था कि उनका दूध सिर्फ उनकी बच्ची के लिए नहीं, बल्कि उन बच्चों के लिए भी मददगार है जो जीवन की जंग लड़ रहे हैं—वे बच्चे जो समय से पहले जन्म लेते हैं और बीमार होते हैं। दान का दूध जिंदगी बदल सकता है। उन्होंने इस पोस्ट के साथ कुछ तस्वीरें साझा की थीं जिसमें दूध के 70 पैकेट के साथ वह बैठी हुई थीं।

इस पहल का उद्देश्य है लोगों को ‘दूध दान के बारे में जागरूक करना' और अन्य माताओं को प्रेरित करना कि वे भी इस मानवता के काम में भाग लें।

दूध दान की परंपरा कोई नई नहीं है। भारत में ‘धात्री मां’ या ‘दूध माता’ का उल्लेख सदियों पुरानी कहानियों में मिलता है। पुराने समय में जब किसी महिला को दूध नहीं आता था या वह बच्चा खो देती थी, तो दूसरी महिला अपने दूध से उस शिशु को पालती थी। यह एक पवित्र कर्तव्य माना जाता था।

वैज्ञानिक रूप से, पहला आधिकारिक ‘ह्यूमन मिल्क बैंक’ 1909 में वियना में स्थापित किया गया था। भारत में पहला दूध बैंक 1989 में सायन हॉस्पिटल, मुंबई में शुरू किया गया। आज देश भर में दर्जनों दूध बैंक हैं, जो समय से पूर्व जन्मे और बीमार शिशुओं को जीवन दान देते हैं।

इस तरह का दान केवल एक व्यक्तिगत जनहित का कार्य नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक बड़ा संदेश है कि स्तन दूध केवल एक मां के बच्चे के लिए नहीं, बल्कि जरूरतमंद नवजातों के लिए वरदान है। प्रीमेच्योर बच्चों के लिए मां का दूध जान बचाता है क्योंकि उनके इम्यून सिस्टम कमजोर होते हैं और बाहरी संक्रमणों का खतरा अधिक होता है।

गुट्टा ने एक अद्भुत मानवता की मिसाल पेश की है। वे एक जानी-मानी शख्सियत हैं जिनके इस कदम ने कई लोगों को इस महत्त्वपूर्ण दान की महत्ता समझाई है। इस दान ने यह समझाया है कि शब्दों में ममता नहीं बांधी जा सकती, लेकिन कभी-कभी कुछ बूंदें एक जिंदगी को नया सवेरा दे सकती हैं।

Point of View

NationPress
31/10/2025

Frequently Asked Questions

ब्रेस्ट मिल्क दान करने का क्या महत्व है?
ब्रेस्ट मिल्क दान करना नवजातों के जीवन को बचाने में सहायता करता है, खासकर उन बच्चों के लिए जो समय से पहले जन्म लेते हैं या बीमार होते हैं।
ब्रेस्ट मिल्क को कैसे सुरक्षित रखा जाता है?
दान किए गए दूध को पाश्चुराइज किया जाता है और फ्रीजर में 3 से 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
क्या भारत में ब्रेस्ट मिल्क का दान करना मुफ्त है?
हाँ, भारत में ब्रेस्ट मिल्क का दान पूरी तरह से मुफ्त और मानवता पर आधारित सेवा है।
क्या दूध दान करने के लिए कोई विशेष प्रक्रिया है?
हाँ, दात्री मां का पहले रक्त परीक्षण किया जाता है और उसे एचआईवी या हेपेटाइटिस जैसी कोई गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए।
ज्वाला गुट्टा ने कब दूध दान किया?
ज्वाला गुट्टा ने हाल ही में लगभग 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान किया।