क्या कचनार सेहत के लिए रामबाण है, क्या यह डायबिटीज मरीजों के लिए भी फायदेमंद है?
सारांश
Key Takeaways
- कचनार के औषधीय गुण अद्भुत हैं।
- यह डायबिटीज और अपच में सहायक है।
- कचनार का काढ़ा कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान कर सकता है।
- आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह आवश्यक है।
- कचनार के एंटी-कैंसर गुण इसे विशेष बनाते हैं।
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। डायबिटीज जैसी लाइलाज बीमारियों, अपच या अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान आयुर्वेद ने सदियों से औषधियों के माध्यम से किया है। ऐसी ही एक औषधि है कचनार।
आयुर्वेद में कचनार को एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके फूल, पत्ते और विशेषकर छाल कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए रामबाण साबित होते हैं। कचनार में एंटी-कैंसर गुण होते हैं और यह शरीर में गांठों को गलाने में मदद करता है, चाहे वह थॉयराइड की गांठ हो, नसों में गांठ, ब्रेन ट्यूमर या गर्भाशय में फाइब्रॉइड जैसी समस्या।
आयुर्वेदाचार्य कचनार के औषधीय गुणों और इसके लाभ पर प्रकाश डालते हैं। कचनार की छाल का काढ़ा गांठ गलाने के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसे उबालकर पीने या कचनार गुग्गुल के साथ सेवन करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। घर पर कचनार गुग्गुल बनाना भी बहुत आसान है।
इसके लिए शुद्ध गुग्गुल को घी में पिघलाएं, फिर कचनार की छाल और पत्तों का रस मिलाकर पकाएं और छोटी-छोटी गोलियां बना लें। सुबह-शाम दो गोलियां कचनार के काढ़े के साथ लें।
पाचन संबंधी समस्याओं में कचनार की छाल का काढ़ा दस्त, पेट दर्द और अपच में राहत प्रदान करता है। डायबिटीज रोगियों के लिए इसके पत्तों का रस ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होता है। त्वचा की समस्याओं जैसे एक्जिमा, दाद और खुजली में फूलों का लेप लगाने से लाभ मिलता है। मुंह के छालों के लिए भी छाल का काढ़ा प्रभावी है।
महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए कचनार के फूलों का काढ़ा पीरियड्स संबंधी अनियमितताओं और दर्द में राहत देता है। बुखार के इलाज में भी छाल का काढ़ा उपयोगी सिद्ध होता है। कचनार के अर्क में मौजूद कैंसर विरोधी गुण कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकते हैं, जो इसे एक शक्तिशाली रसायन बनाते हैं।
सेहत के लिए बेहद फायदेमंद कचनार का उपयोग आयुर्वेद में सदियों से किया जा रहा है और यह स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी है। फिर भी, किसी भी औषधि का सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा या गलत उपयोग से नुकसान हो सकता है।