क्या कैलाश विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह को आरएसएस की प्रशंसा करने पर साहसी कहा?
सारांश
Key Takeaways
- कैलाश विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह की प्रशंसा की।
- आरएसएस की वैचारिक स्थिति पर चर्चा हुई।
- लोकतंत्र में वैचारिक मतभेद का महत्व।
- राजनीतिक विवादों का प्रभाव।
- सरदार पटेल की परंपरा का उल्लेख।
नई दिल्ली/भोपाल, २९ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा हाल ही में सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई तस्वीरों और आरएसएस की प्रशंसा के बीच चल रही बहस में, भाजपा नेता और राज्य के शहरी एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को कांग्रेस नेता को 'साहसी' बताया।
विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह के 'सच बोलने' के साहस की तुलना पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल से की। हालांकि, भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस हाई कमांड ने शायद इस बयान को ठीक से नहीं लिया होगा।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि लोकतंत्र में वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन सच बोलने का साहस होना भी जरूरी है, जो हर किसी में नहीं होता। दिग्विजय सिंह ने आरएसएस की प्रशंसा करके ऐसा साहस दिखाया है।
मंत्री ने कहा, “हालांकि इससे दिल्ली (कांग्रेस हाई कमांड) में दिग्विजय सिंह की स्थिति कमजोर हुई होगी, लेकिन उन्होंने सरदार पटेल जैसे १९५० के दशक के कांग्रेस नेताओं की परंपरा का पालन किया है, जिनमें सच बोलने का साहस था। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है।”
यह मध्य प्रदेश के मंत्री द्वारा दिग्विजय सिंह की प्रशंसा करने का दूसरा मौका है।
इससे पहले, विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान, भाजपा नेता ने कहा था कि दिग्विजय सिंह हमेशा जनता के समर्थन में खड़े रहे हैं, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों।
कांग्रेस के स्थापना दिवस (२७ दिसंबर) से एक दिन पहले दिग्विजय सिंह द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गई एक पोस्ट में आरएसएस-भाजपा गठबंधन से सीखने की सलाह ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया।
अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने आरएसएस-भाजपा गठबंधन की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी की एक पुरानी तस्वीर का हवाला दिया।
दिग्विजय सिंह ने लिखा, “मुझे यह तस्वीर मिली। यह बहुत प्रभावशाली है। कैसे एक जमीनी स्तर का आरएसएस स्वयंसेवक और जनसंघ एवं भाजपा कार्यकर्ता नेताओं के चरणों में बैठकर एक राज्य का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बन गया। यही संगठन की शक्ति है। जय सिया राम।”