क्या कर्क संक्रांति पर दक्षिणायन की शुरुआत और सूर्य को अर्घ्य देने से होगा लाभ?

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क्या कर्क संक्रांति पर दक्षिणायन की शुरुआत और सूर्य को अर्घ्य देने से होगा लाभ?

सारांश

कर्क संक्रांति के अवसर पर सूर्य देव का कर्क राशि में प्रवेश एक महत्वपूर्ण घटना है। इस दिन विशेष पूजा और अर्घ्य प्रदान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति संभव है। जानिए इस दिन के महत्व और पूजा विधि के बारे में।

Key Takeaways

  • कर्क संक्रांति पर सूर्य देव का कर्क राशि में प्रवेश होता है।
  • इस दिन सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है।
  • दान-पुण्य करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
  • इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी है।
  • इस दिन मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है।

नई दिल्ली, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बुधवार को सूर्य देव कर्क राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। इसे कर्क संक्रांति कहा जाता है, जो दक्षिणायन की शुरुआत का संकेत है। अगले छह महीनों में सूर्य दक्षिणी गोलार्ध की ओर बढ़ेंगे। इस दिन सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का आयोजन किया जाता है।

दृक पंचांग के अनुसार, बुधवार की शाम लगभग 5 बजकर 40 मिनट पर सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रविष्ट होंगे, इसी समय चंद्रमा मीन राशि में रहेंगे। इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12:27 से 2:10 बजे तक रहेगा।

इस दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध की यात्रा प्रारंभ करेंगे; इसे देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात माना जाता है।

कर्क संक्रांति से मकर संक्रांति तक का समय देवताओं के शयन काल के रूप में देखा जाता है। इस अंतराल में मांगलिक कार्य जैसे विवाह और गृह प्रवेश नहीं किए जाते, लेकिन विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान किए जा सकते हैं।

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य करना और सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इससे व्यक्ति के पाप समाप्त होते हैं और उसे अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु तथा सुख-समृद्धि मिलती है। अन्न, वस्त्र, जल और तिल का दान करना शुभ माना जाता है।

कर्क संक्रांति पर सूर्य देव की विशेष पूजा होती है। सूर्य मंत्रों का जाप, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ और सूर्य को अर्घ्य देना फलदायी माना जाता है। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी शुभ मानी जाती है।

आप इस दिन सुबह व्रत रख सकते हैं और विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, फिर चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, और तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

इसके अतिरिक्त, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ और सूर्य देव के मंत्र "ऊं सूर्याय नमः" या "ऊं घृणि सूर्याय नमः" का जप करने से भी विशेष लाभ होता है। इन उपायों से सूर्य देव की कृपा मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि तथा सफलता प्राप्त होती है।

आप एक समय भोजन करें, जिसमें नमक का सेवन न करें। गरीबों को दान करें। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना, तेल मालिश करना और तांबे के बर्तन बेचना वर्जित है।

Point of View

जब सूर्य देव की पूजा से न केवल धार्मिक मान्यता बढ़ती है, बल्कि यह व्यक्तियों के जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। यह समय हमें एक नई शुरुआत का एहसास भी कराता है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

कर्क संक्रांति का महत्व क्या है?
कर्क संक्रांति का महत्व धार्मिक रूप से बहुत अधिक है, क्योंकि इस दिन सूर्य देव का कर्क राशि में प्रवेश होता है, जो दक्षिणायन की शुरुआत का प्रतीक है।
इस दिन कौन सी विशेष पूजा की जाती है?
इस दिन सूर्य देव और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है, साथ ही अर्घ्य देने का प्रावधान भी होता है।
क्या इस दिन दान करना चाहिए?
हाँ, इस दिन दान करना विशेष महत्व रखता है, जैसे अन्न, वस्त्र, जल और तिल का दान करना शुभ माना जाता है।
कर्क संक्रांति पर व्रत का क्या महत्व है?
इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और यह सूर्य देव की कृपा अर्जित करने का एक साधन है।
क्या इस दिन कुछ वर्जित है?
इस दिन मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना और किसी का अपमान करना वर्जित माना जाता है।