क्या कर्नाटक सरकार ने मासिक धर्म अवकाश को मंजूरी दी?

सारांश
Key Takeaways
- कर्नाटक सरकार ने मासिक धर्म अवकाश को मंजूरी दी।
- महिलाओं के लिए 12 दिन की छुट्टी का प्रावधान।
- यह नीति सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में लागू होगी।
- महिलाओं की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता।
- अन्य राज्यों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
बेंगलुरु, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने हाल ही में कामकाजी महिलाओं के लिए हर महीने एक दिन की भुगतान की मासिक धर्म छुट्टी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
यह घोषणा बेंगलुरु स्थित विधान सौध में एक कैबिनेट बैठक के बाद विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने की।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया।
मंत्री पाटिल ने बताया कि यह मासिक धर्म अवकाश राज्य के सरकारी कार्यालयों, कारखानों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी), आईटी फर्मों और निजी उद्योगों पर लागू होगा।
जब मंत्री पाटिल से पूछा गया कि क्या इस नीति का अन्य राज्यों में अध्ययन किया गया है, तो उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई विशेष अध्ययन नहीं किया है।
हालांकि, चूंकि यह नीति अन्य राज्यों में सफलता प्राप्त कर चुकी है, इसलिए इसे कर्नाटक में भी लागू किया गया है।
राज्य के श्रम मंत्री संतोष लाड ने कहा, "हम पिछले एक साल से इस नियम को लागू करने के लिए प्रयासरत हैं। महिलाओं पर कई जिम्मेदारियां होती हैं। घर के कामों के साथ-साथ उन्हें बच्चों की देखभाल भी करनी होती है। मासिक धर्म के दौरान उन्हें शारीरिक और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इसलिए, हमने इस विषय पर विचार-विमर्श के लिए एक समिति बनाई थी, जिसने सालाना छह दिन की छुट्टी की सिफारिश की थी, लेकिन अब सरकार ने सालाना 12 दिन की छुट्टी देने का निर्णय लिया है।"
मंत्री ने आगे कहा, "हमें नहीं पता कि इसे अन्य राज्यों में कैसे लागू किया गया, लेकिन कर्नाटक में हम इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सरकारी और निजी, सभी क्षेत्रों में लागू होगा।"
कैबिनेट ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए उर्वरक भंडारण हेतु 200 करोड़ रुपये आवंटित करने पर भी सहमति दी।
राज्य सरकार ने पुलों के पुनर्निर्माण और नवीनीकरण के लिए 2,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सैद्धांतिक मंजूरी दी है।
कर्नाटक भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के अंतर्गत पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों के लिए 405.55 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 11 श्रमिक आवासीय विद्यालय स्थापित करने की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है।