क्या पीएम मोदी के जेन-जी के बयान का समर्थन करते हैं शकील अहमद?
सारांश
Key Takeaways
- युवाओं की प्रगति से देश की प्रगति होती है।
- आज की पीढ़ी को अधिक सुविधाएं और अवसर मिल रहे हैं।
- राजनीतिक विवादों में बिना आधार के आरोप लगाना उचित नहीं है।
- चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
- लोकतंत्र के लिए जनता का भरोसा बेहद महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व कांग्रेस नेता शकील अहमद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया जेन-जी संबंधी बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि दुनिया हमेशा युवाओं से सीखती है और जब युवा आगे बढ़ते हैं तो देश स्वतः प्रगति करता है। यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि एक स्वाभाविक सत्य है जिसे समझना चाहिए।
अहमद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि आज की पीढ़ी को पिछली पीढ़ियों की तुलना में कहीं अधिक सुविधाएं, अवसर और संसाधन उपलब्ध हैं। इसलिए देश की अगली पीढ़ी—जिसे जेन-जी या मॉडर्न पीढ़ी कहा जाता है—पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें यकीन है कि हमारे देश के युवा आगे बढ़ेंगे और देश तथा दुनिया को नई दिशा देंगे। इसी ऊर्जा और क्षमता पर भारत का भविष्य टिका हुआ है।"
शकील अहमद ने कांग्रेस नेता कुमार केतकर के उस विवादित बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि “2014 के लोकसभा चुनाव में सीआईए और मोसाद की साजिश थी।”
उन्होंने कहा कि जब भी किसी राजनीतिक समस्या पर चर्चा होती है तो कुछ लोग बिना आधार के सीआईए और मोसाद जैसे अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को घसीट लाते हैं। उन्होंने कहा कि केतकर राज्यसभा सदस्य रहे हैं और टीवी पर कांग्रेस का पक्ष रखते रहे हैं। मेरी उनसे कोई व्यक्तिगत पहचान नहीं, लेकिन जिस समय की वह बात कर रहे हैं, उस दौरान मैं कांग्रेस का नेशनल जनरल सेक्रेटरी था।
उन्होंने कहा कि जिस सरकार की केतकर बात कर रहे हैं, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इतने “नाकाबिल” नहीं थे कि कोई विदेशी एजेंसी उनके खिलाफ साजिश रचे और वे चुप रह जाएं।
अहमद ने दावा किया कि 2009 में जब यूपीए को पहले से अधिक बहुमत मिला, तभी कुछ “अंदरखाने विरोध” मनमोहन सिंह को कमजोर करने के लिए हुआ था। उन्होंने कहा कि समय आने पर नाम भी सामने आएंगे, लेकिन यह एक सच्चाई है कि साजिश बाहरी नहीं, अंदरूनी थी।
पूर्व कांग्रेस नेता ने चुनाव आयोग की भूमिका और उसकी विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में आयोग पर सवाल उठाने वाली पार्टियों की संख्या बढ़ी है। भाजपा को छोड़कर लगभग सभी बड़ी पार्टियों ने उसके निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं।
अहमद ने कहा कि चुनाव आयोग को अपनी विश्वसनीयता कायम रखनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के सामने एक स्पष्ट बयान देना चाहिए कि उसकी निष्पक्षता पर कोई संदेह न रहे।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आयोग पर अविश्वास बढ़ता गया और यह स्थिति कायम रही, तो यह लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा होगा। जनता का भरोसा जनतंत्र से उठ गया तो सबसे बड़ी हानि देश की होगी।