क्या झारखंड हाईकोर्ट ने सूर्या हांसदा मामले में राज्य सरकार की लापरवाही पर नाराजगी जताई?
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की लापरवाही पर नाराजगी जताई।
- सीबीआई जांच की मांग की गई है।
- सूर्या हांसदा की हत्या को फर्जी मुठभेड़ बताया गया।
रांची, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के गोड्डा में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए आदिवासी नेता सूर्या हांसदा की मृत्यु की सीबीआई जांच के संबंध में दायर क्रिमिनल रिट पर शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। राज्य सरकार द्वारा अब तक कोई जवाब पेश नहीं करने पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की।
अदालत ने सरकार को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अंबुज नाथ की पीठ में हुई। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता कुमार हर्ष ने बहस की। सूर्या हांसदा की पत्नी सुशीला मुर्मू और मां नीलमुनी मुर्मू ने दायर याचिका में आरोप लगाया है कि यह मुठभेड़ फर्जी थी और पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने इस घटना को मुठभेड़ का रूप दिया, जबकि सूर्या को जानबूझकर निशाना बनाया गया। प्रार्थियों ने उच्च न्यायालय से स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की है ताकि तथ्य सामने आ सकें।
गोड्डा पुलिस ने 11 अगस्त को बोआरीजोर थाना क्षेत्र के धमनी पहाड़ के पास मुठभेड़ में सूर्या हांसदा के मारे जाने का दावा किया था। पुलिस के अनुसार सूर्या के खिलाफ 20 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे और वह कई गंभीर घटनाओं में वांछित था। पुलिस ने मुठभेड़ स्थल से हथियार बरामद होने की भी जानकारी दी थी।
गोड्डा के एसपी मुकेश कुमार के मुताबिक, सूर्या की गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीम उसे हथियार बरामदगी के लिए ले जा रही थी। इसी दौरान उसके गैंग के सदस्यों ने पुलिस पर हमला करने का प्रयास किया। पुलिस का दावा है कि इस बीच सूर्या ने एक पुलिसकर्मी का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी सूर्या हांसदा की पुलिस मुठभेड़ में मौत को संदेहास्पद करार देते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की थी। आयोग की जांच टीम ने गोड्डा में घटनास्थल का दौरा किया था और संबंधित पक्षों के बयान दर्ज किए थे।