क्या कर्नाटक हाईकोर्ट ने विधायक बायरथी बसवराज को सशर्त अग्रिम जमानत दी?
सारांश
Key Takeaways
- बायरथी बसवराज को सशर्त अग्रिम जमानत मिली।
- सीआईडी ने पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए।
- मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी।
- बायरथी बसवराज ने आरोपों से खुद को दूर रखा है।
- इस मामले में राजनीति की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
बेंगलुरु, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को रॉडी-शीटर हत्याकांड से संबंधित मामले में पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक बायरथी बसवराज को सशर्त अग्रिम जमानत दी।
न्यायमूर्ति जी. बसवराज की अध्यक्षता में हुई सुनवाई के दौरान यह बताया गया कि आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने बायरथी बसवराज को आरोपी बनाने के लिए ठोस और वैध सबूत पेश करने में विफलता दिखाई है।
अदालत ने आदेश दिया कि यदि उनकी गिरफ्तारी होती है, तो बायरथी बसवराज को तुरंत रिहा किया जाए। इसके साथ ही, मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को तय की गई है और सीआईडी को आपत्तियां दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
सुनवाई के दौरान, बायरथी बसवराज के वकील संदीश चौटा ने दलील दी कि सीआईडी की जांच में कोई भी सबूत उनके मुवक्किल के खिलाफ नहीं आया है।
उन्होंने अदालत को बताया, “पिछले पांच महीनों में सीआईडी ने एक बार भी बायरथी बसवराज को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया।”
यह ध्यान देने योग्य है कि कर्नाटक पुलिस ने पहले इस हत्याकांड के सिलसिले में पूर्व मंत्री की खोज का काम शुरू किया था। सीआईडी ने उनके देश छोड़ने की संभावना को देखते हुए लुकआउट नोटिस जारी किया था।
बायरथी बसवराज को जुलाई 2025 में हुए रॉडी-शीटर हत्याकांड में शिवप्रकाश उर्फ बिक्लू शिवा की हत्या के मामले में एक आरोपी बनाया गया है। शिवप्रकाश की बेंगलुरु में उनके घर के बाहर धारदार हथियारों से हत्या की गई थी।
इस मामले में प्राथमिकी (एफआईआर) मृतक की मां विजयलक्ष्मी की शिकायत पर बेंगलुरु के भारतीनगर पुलिस थाने में दर्ज की गई थी।
बायरथी बसवराज ने लगातार अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि इस घटना से उनका कोई संबंध नहीं है।
वे बेंगलुरु के के.आर. पुरम विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और भाजपा में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी माने जाते थे।
इस सप्ताह बेंगलुरु की विशेष एमएलए-एमपी अदालत ने इस मामले में बायरथी बसवराज की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई थी।
विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान सीआईडी के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक नाइक ने दलील दी थी कि अदालत की कार्यवाही की जानकारी होने के बावजूद आरोपी विधायक 18 दिसंबर से फरार थे।