क्या ईवीएम की जगह बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने का निर्देश निंदनीय है?

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क्या ईवीएम की जगह बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने का निर्देश निंदनीय है?

सारांश

कर्नाटक भाजपा के महासचिव पी. राजीव ने राज्य निर्वाचन आयोग के बैलेट पेपर के उपयोग के निर्देश की आलोचना की। उन्होंने इसे तकनीकी प्रगति के खिलाफ बताया और कांग्रेस पर भी निशाना साधा। जानें इस विवाद की पूरी कहानी!

Key Takeaways

  • ईवीएम का उपयोग तकनीकी प्रगति का प्रतीक है।
  • बैलेट पेपर के उपयोग से पारदर्शिता बढ़ सकती है।
  • राजनीतिक दलों को चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर ध्यान देना चाहिए।
  • जांच एजेंसियों का स्वतंत्रता से काम करना आवश्यक है।
  • सभी दलों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए।

बेंगलुरु, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक भाजपा के महासचिव पी. राजीव ने शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयोग के उस निर्णय की कड़ी आलोचना की है, जिसमें सभी स्थानीय निकाय चुनावों को ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से कराने का निर्देश दिया गया है।

पी. राजीव ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जब पूरी दुनिया तकनीक को अपनाकर आगे बढ़ रही है, तब कर्नाटक सरकार तकनीक से बचने का प्रयास कर रही है, जो बिल्कुल अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्थानीय संस्थाओं को कमजोर बनाने की कोशिश की है, जो उचित नहीं है। इस प्रकार, राज्य सरकार ने लोगों के बीच एक गलत उदाहरण प्रस्तुत किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्री जी परमेश्वर ने स्वयं यह खुलासा किया था कि कैसे बैलेट पेपर के माध्यम से लोग अपनी राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार, वे प्रदेश की जनता को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करते हैं, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस, जो देश की सबसे पुरानी पार्टी है, ने 60 वर्षों तक केंद्र की सत्ता में रहने का आनंद लिया; आखिर यह कैसे संभव हुआ? निश्चित रूप से उन्होंने बैलेट पेपर का उपयोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए किया। इस प्रकार, कांग्रेस की राजनीतिक स्वच्छता अब पूरी तरह समाप्त हो चुकी है, जिसे एक सभ्य राजनीतिक माहौल में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

पी. राजीव ने कहा कि सभी प्रकार की जांच एजेंसियां वर्तमान में राज्य सरकार के अधीन हैं। इसलिए, यदि राज्य सरकार को संदेह है कि ईवीएम के माध्यम से भाजपा राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है, तो इसकी जांच की जानी चाहिए।

उन्होंने पी.एच. देसाई आयोग द्वारा मुडा प्रकरण में क्लीन चिट दिए जाने पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि किसी भी आपराधिक मामले में तीन बिंदुओं का विशेष महत्व होता है। मुडा प्रकरण में, हमें देखना होगा कि लाभार्थी कौन थे। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लोकायुक्त को पूरी तरह से लाचार बना दिया था और इसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो का गठन किया, जिसमें सभी अधिकारियों को मुख्यमंत्री के द्वारा ही चुना गया।

उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। इसके साथ ही, उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हर जनसभा में संविधान की पुस्तक देकर लोगों को संवैधानिक ज्ञान देते हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में कर्नाटक राज्य ईडी का दुरुपयोग कर रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। ईडी एक संवैधानिक ढांचा है, जो स्वतंत्रता के साथ काम करता है।

Point of View

NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

ईवीएम और बैलेट पेपर के बीच क्या अंतर है?
ईवीएम इलेक्ट्रॉनिक मशीन होती है, जबकि बैलेट पेपर पर वोट डालने का पारंपरिक तरीका है।
राज्य निर्वाचन आयोग का यह निर्णय क्यों आया?
राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बैलेट पेपर के इस्तेमाल का निर्णय लिया।
क्या बैलेट पेपर का इस्तेमाल सही है?
यह निर्णय राजनीतिक दृष्टिकोण से विवादास्पद है, कुछ इसे तकनीकी प्रगति के खिलाफ मानते हैं।