क्या कश्मीर घाटी में भारतीय सेना के टैंक और आर्टिलरी गन पहुंचे?
सारांश
Key Takeaways
- कश्मीर घाटी में सेना की टैंकों और आर्टिलरी गन की तैनाती
- मिलिट्री स्पेशल ट्रेन के माध्यम से लॉजिस्टिक क्षमता में वृद्धि
- उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का महत्व
- सैन्य-नागरिक सहयोग की आवश्यकता
- सेना की परिचालन तत्परता में सुधार
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना के टैंक और आर्टिलरी गन अब कश्मीर घाटी में उपस्थित हैं। यह क्षेत्र देश की उत्तरी सीमा से जुड़ा हुआ है। खास बात यह है कि टैंकों और तोपखाने को कश्मीर घाटी में पहुँचाने का कार्य ट्रेन के माध्यम से किया गया है।
यह कोई साधारण ट्रेन नहीं, बल्कि एक मिलिट्री स्पेशल ट्रेन है। इसी कारण से इस टैंकों और तोपखाने की तैनाती को जटिल क्षेत्रों में सेना की मजबूत लॉजिस्टिक क्षमता से जोड़ा जा रहा है।
भारतीय सेना ने मंगलवार को इस महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक उपलब्धि को हासिल किया। इसके तहत कश्मीर घाटी में टैंकों और तोपखाने की तैनाती को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। यह तैनाती मिलिट्री स्पेशल ट्रेन के माध्यम से की गई।
सेना का मानना है कि यह उनकी बढ़ी हुई गतिशीलता और सुदृढ़ लॉजिस्टिक क्षमता का स्पष्ट प्रमाण है। सेना ने इस सत्यापन अभ्यास के अंतर्गत टैंक, आर्टिलरी गन और डोजर को जम्मू क्षेत्र से अनंतनाग, कश्मीर तक सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया।
यह उपलब्धि देश की उत्तरी सीमाओं पर त्वरित सैन्य साजो-सामान की तैनाती और परिचालन तत्परता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। सेना के मुताबिक, यह लॉजिस्टिक के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, जिसे रेल मंत्रालय के साथ घनिष्ठ समन्वय से प्राप्त किया गया।
इस हेतु उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का उपयोग किया गया। यह रेल मार्ग रणनीतिक महत्व को भी रेखांकित करता है।
यह रेल परियोजना न केवल कश्मीर घाटी को देश के अन्य हिस्सों से निर्बाध रूप से जोड़ती है, बल्कि संकट की घड़ी में सेना के लिए तेज लॉजिस्टिक बिल्ड-अप और संसाधनों की शीघ्र आवाजाही को भी संभव बनाती है।
बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने भारतीय रक्षा लेखा सेवा के प्रोबेशनरी अधिकारियों से संवाद किया। अपने संबोधन में उन्होंने युद्ध के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए सशक्त सैन्य-नागरिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
यह सहयोग सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए अत्यंत आवश्यक है।
जनरल द्विवेदी ने इन अधिकारियों से सेना के साथ समन्वय बढ़ाने का आह्वान किया ताकि सभी क्षेत्रों में परिचालन दक्षता और क्षमता निर्माण को मजबूती मिल सके।
उन्होंने कहा कि सेवा शर्तों और परिचालन आवश्यकताओं की गहरी समझ विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सेना प्रमुख ने प्रोबेशनरी अधिकारियों को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप सक्रिय, समाधान-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया, ताकि सशस्त्र बलों के दीर्घकालिक रोडमैप के अनुरूप प्रभावी योगदान सुनिश्चित किया जा सके।