क्या कटनी जिले में भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया?

सारांश
Key Takeaways
- कटनी में भारी बारिश ने जनजीवन को प्रभावित किया है।
- जलस्तर में वृद्धि से कई इलाके अवरुद्ध हुए हैं।
- प्रशासन ने सुरक्षा के लिए चेतावनी जारी की है।
- स्थानीय लोग स्थिति की गंभीरता को नजरअंदाज कर रहे हैं।
- बाढ़ से प्रभावित लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हैं।
कटनी, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के कटनी जिले में बीते दो दिनों से चली आ रही बारिश ने जनजीवन को वास्तविकता में उलट दिया है। ढीमरखेड़ा तहसील के अंतर्गत बेलकुंड, मोरी, हिरन और सुआ नदियों में जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे कई क्षेत्रों का संपर्क टूट गया है।
बेलकुंड नदी में उफान के कारण गर्राघाट पुल के ऊपर पानी बहने लगा है, जिससे आवागमन पर पूरी तरह से असर पड़ा है। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर लोगों को पुल पार न करने की सख्त चेतावनी दी है। इसके बावजूद भी कई लोग जान जोखिम में डालकर पुल पार करते और नदी में उतरते दिखाई दे रहे हैं।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, सुबह से ही बेलकुंड नदी का पानी गर्राघाट पुल के ऊपर बहने लगा था। तब से रास्ता पूरी तरह अवरुद्ध है। पुलिस और प्रशासन के बार-बार समझाने के बावजूद कुछ लोग लकड़ी इकट्ठा करने और आवागमन के लिए नदी में उतरते नजर आए, जिससे दुर्घटना की संभावना बनी हुई है। हालांकि प्रशासन लगातार निगरानी और चेतावनी जारी कर रहा है, लेकिन कई ग्रामीण चेतावनी को नजरअंदाज कर रहे हैं।
जिला प्रशासन ने नदी किनारे बसे लोगों से अपील की है कि वे सावधानी बरतें और अनावश्यक रूप से पुल या नदी के पास न जाएं। भारी बारिश की स्थिति को देखते हुए अगले कुछ घंटों में जलस्तर और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। वहीं जिन इलाकों में घरों में पानी घुस गया है, उन्हें जिला प्रशासन सुरक्षित शासकीय भवनों में पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।
ग्रामीण अंकित झरिया ने कहा कि मानसून की शुरुआत होते ही गांव में पानी आ चुका है। पिछले साल बाढ़ से प्रभावित लोगों ने अपने घर छोड़ दिए हैं और वे दूसरी जगह जाने को मजबूर हैं। पहले की तरह इस बार भी बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। मानसून के दौरान बाढ़ प्रभावित लोग चार महीने गांव से दूर रहना पड़ता है। प्रशासन की अपील के बावजूद स्थानीय युवा पुल के ऊपर से कूदते हैं और अपनी जान को जोखिम में डालते हैं।
ग्रामीण इंद्र कुमार ने कहा कि यदि प्रशासन ध्यान दे तो पुल को ऊंचा किया जा सकता है। आने-जाने की जो दिक्कत है, वह समाप्त हो जाएगी। पिछले साल आई बाढ़ से कई लोग बेघर हो गए थे। बाढ़ के कारण अन्य क्षेत्रों से संपर्क टूट जाता है।
राजेश कुमार ने कहा कि बाढ़ की समस्या 2024 से बनी हुई है। लोग बेघर हो गए हैं और अलग-अलग जगह पर रहने को मजबूर हैं। पुल काफी नीचे है, जिससे नदी उफान लेती है तो बाढ़ का पानी पुल के ऊपर आ जाता है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि आवागमन को बेहतर बनाया जा सके।