क्या कांवड़ यात्रा को धार्मिक आधार पर सियासी रंग देना उचित है? : इकबाल महमूद

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क्या कांवड़ यात्रा को धार्मिक आधार पर सियासी रंग देना उचित है? : इकबाल महमूद

सारांश

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नाम प्लेट लगाने के आदेश ने सियासत में हलचल मचा दी है। समाजवादी पार्टी के नेता इकबाल महमूद ने इसे धार्मिक मुद्दे के रूप में देखा है और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। जानिए इस विवाद की जड़ें और इसके पीछे की सच्चाई।

Key Takeaways

  • कांवड़ यात्रा का धार्मिक और राजनीतिक पहलू
  • सरकार के आदेश की सुप्रीम कोर्ट से तुलना
  • कांवड़ियों की खानपान आदतें
  • धार्मिक पहचान और सामाजिक एकता
  • 2027 में सरकार के भविष्य की संभावनाएँ

संभल, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों, होटलों और ढाबों पर नेम प्लेट लगाने के आदेश ने एक सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इस निर्देश पर हिंदू-मुस्लिम पहचान पर छिड़ी बहस अब पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुकी है।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक इकबाल महमूद ने इस मुद्दे पर योगी सरकार पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करार दिया और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।

इकबाल महमूद ने कहा, "पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे निर्देशों को खारिज कर दिया था। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार वही गलती दोहरा रही है। यह साफ तौर पर अदालत की अवमानना है।"

उन्होंने आगे कहा, "अगर सरकार को दुकानदारों के नाम लिखवाने हैं तो लिखवा ले, इसमें क्या हर्ज है। लेकिन इसे धार्मिक आधार पर सियासी रंग देना गलत है।"

कांवड़ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं की खानपान की आदतों पर सवाल उठाते हुए महमूद ने कहा, "क्या सभी कांवड़िए शाकाहारी हैं? करीब 70 प्रतिशत लोग नॉनवेज खाने वाले हैं, भले ही इस पर्व के दौरान वह शाकाहारी भोजन करें। यह धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला है, लेकिन इसे सियासी हथियार बनाया जा रहा है।"

उन्होंने प्रदेश सरकार पर धार्मिक आधार पर समाज को बांटने का आरोप लगाया। मुस्लिम समुदाय से संयम बरतने की अपील करते हुए विधायक ने कहा, "मैं अपने मुस्लिम भाइयों से कहूंगा कि यह कुछ दिनों की बात है। इस सरकार के इरादों को समझें और सब्र रखें। अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है। मुझे पूरा यकीन है कि 2027 में यह सरकार सत्ता से बाहर होगी।"

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रशासन ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों, होटलों और ढाबों पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश दिए हैं। सरकार का तर्क है कि इससे यात्रा के दौरान पारदर्शिता बनी रहेगी और श्रद्धालुओं को सुविधा होगी। हालांकि, विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे धार्मिक आधार पर भेदभाव वाला कदम बताया है।

उनका कहना है कि यह निर्देश मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाने की कोशिश है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले का हवाला देते हुए विपक्ष ने सरकार से इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ भाजपा ने इस आदेश को श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा से जोड़ा है। इस विवाद ने कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही उत्तर प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है।

Point of View

सरकार का तर्क है कि इससे यात्रा के दौरान पारदर्शिता बढ़ेगी, जबकि दूसरी ओर, विपक्ष इसे धार्मिक आधार पर भेदभाव मान रहा है। हमें इस मुद्दे को समाज में एकता और सहिष्णुता के दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

कांवड़ यात्रा के दौरान नाम प्लेट लगाने का आदेश क्यों दिया गया?
सरकार का कहना है कि इससे यात्रा के दौरान पारदर्शिता बनी रहेगी और श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी।
इकबाल महमूद ने इस मुद्दे पर क्या कहा?
उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना और धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया।
क्या यह आदेश मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाने के लिए है?
विपक्ष का कहना है कि यह निर्देश मुस्लिम दुकानदारों को लक्षित करने का प्रयास है।
कांवड़ यात्रा में श्रद्धालुओं की खानपान आदतें क्या हैं?
लगभग 70 प्रतिशत कांवड़िए नॉनवेज खाने वाले हैं, भले ही वे पर्व के दौरान शाकाहारी भोजन करें।
क्या सरकार का यह कदम उचित है?
यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासनिक कदमों को धार्मिक पहचान के साथ जोड़ा जाना चाहिए।