क्या कजाकिस्तान ने 'एलजीबीटी प्रोपेगेंडा' पर प्रतिबंध लगाया?

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क्या कजाकिस्तान ने 'एलजीबीटी प्रोपेगेंडा' पर प्रतिबंध लगाया?

सारांश

कजाकिस्तान का निचला सदन 'एलजीबीटी प्रोपेगेंडा' पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित करने जा रहा है। यह कदम रूस, जॉर्जिया और हंगरी जैसे देशों की नीतियों के समान है। जानिए इस कानून के पीछे की वजह और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • कजाकिस्तान के निचले सदन ने 'एलजीबीटी प्रोपेगेंडा' पर बैन लगाया।
  • कानून के तहत जुर्माना और जेल का प्रावधान है।
  • यह कानून रूस और जॉर्जिया की नीतियों के समान है।
  • अधिकार समूहों ने इस कानून का विरोध किया है।
  • कजाकिस्तान में समलैंगिकता 1990 के दशक से वैध है।

अस्ताना/नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कजाकिस्तान के निचले सदन ने बुधवार को एक नया कानून पारित किया है, जो एलजीबीटी समुदाय के लिए चिंता का कारण बन गया है। इस कानून के तहत, एलजीबीटी प्रोपेगेंडा के प्रचार को बढ़ावा देने पर जुर्माना और बार-बार अपराध करने पर 10 दिन तक की जेल का प्रावधान है।

यह कानून ऑनलाइन और मीडिया में एलजीबीटी से संबंधित प्रचार पर प्रतिबंध लगाता है।

रॉयटर्स के अनुसार, यह कानून रूस, जॉर्जिया और हंगरी जैसे देशों में लागू कानूनों के समान है। इसे अब कजाकिस्तान की सीनेट में भेजा जाएगा, जहां इसके पारित होने की पूरी संभावना है।

कजाख राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव ने हाल के महीनों में बार-बार “पारंपरिक मूल्यों” को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह विधेयक तब कानून का रूप लेगा जब इस पर उनके हस्ताक्षर होंगे।

सांसदों ने सर्वसम्मति से इस प्रतिबंध के पक्ष में मतदान किया।

अधिकार समूहों ने इस विधेयक के पारित होने के खिलाफ चेतावनी दी थी। बेल्जियम स्थित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने इसे “अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं का स्पष्ट उल्लंघन” बताया है।

कजाकिस्तान, जो एक मुस्लिम बहुल लेकिन मुख्यतः धर्मनिरपेक्ष देश है, ने 1990 के दशक में समलैंगिकता को वैध किया था।

विधेयक के समर्थन में कजाख शिक्षा मंत्री गनी बेइसेम्बेव ने सांसदों से कहा, “बच्चे और किशोर प्रतिदिन ऑनलाइन ऐसी जानकारी लेते हैं, जो परिवार, नैतिकता और भविष्य के बारे में उनके विचारों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।”

कुल मिलाकर, संस्कृति मंत्रालय ने एलजीबीटी प्रोपेगेंडा के बच्चों और किशोरों पर प्रभाव का अध्ययन किया था। हालांकि इसका नतीजा सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन सरकार ने यह दावा किया कि यह बच्चों के खिलाफ है। 6 अगस्त, 2024 को प्रोपेगेंडा बैन को लेकर चर्चा शुरू हुई, जिसका एलजीबीटी एक्टिविस्टों ने सख्त विरोध किया था।

यही नहीं, 29 अक्टूबर को ही कजाकिस्तान की संसद के निचले सदन ने “एलजीबीटी प्रचार” पर प्रतिबंध लगाने वाले संशोधनों को मंजूरी दी थी।

Point of View

वहीं मानवाधिकार संगठनों की चिंताएं इसे एक स्पष्ट उल्लंघन मानती हैं। यह विधेयक आगे चलकर कजाकिस्तान में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
NationPress
12/11/2025

Frequently Asked Questions

कजाकिस्तान में एलजीबीटी प्रोपेगेंडा पर बैन क्यों लगाया गया?
यह बैन पारंपरिक मूल्यों की रक्षा के लिए लगाया गया है, जिससे कहा गया है कि यह बच्चों और किशोरों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
क्या इस कानून का मानवाधिकारों पर प्रभाव पड़ेगा?
हां, मानवाधिकार संगठन इसे अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन मानते हैं।
यह कानून कब लागू होगा?
यह कानून तब लागू होगा जब राष्ट्रपति इसके लिए हस्ताक्षर करेंगे।
कजाकिस्तान में समलैंगिकता कब वैध हुई?
कजाकिस्तान ने 1990 के दशक में समलैंगिकता को वैध किया था।
क्या इस कानून के खिलाफ कोई विरोध हुआ है?
हाँ, कई अधिकार समूहों ने इस विधेयक के खिलाफ विरोध किया है।