क्या केंद्रीय मंत्री संजय सेठ ने एसआईआर पर घुसपैठियों को भारतीय मतदाता बनने का अधिकार नहीं बताया?
सारांश
Key Takeaways
- घुसपैठियों को मतदान का अधिकार नहीं है।
- एसआईआर कार्यक्रम मतदाता सूची को शुद्ध करता है।
- केंद्रीय मंत्री की बातें विपक्षी पार्टियों के डर को दर्शाती हैं।
- देश में शांति और सुशासन की भावना है।
- चुनाव आयोग का कार्य सराहनीय है।
भागलपुर, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री संजय सेठ ने 12 राज्यों में एसआईआर कार्यक्रम के शुभारंभ पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण देश एसआईआर का समर्थन करता है। क्या यह पहले से ही प्रक्रिया नहीं थी—मतदाता सूची को अपडेट करना? एसआईआर क्या है? यह उन लोगों के नाम हटा देता है जो मृत हो चुके हैं या घुसपैठिए हैं। क्या कोई विदेशी या घुसपैठिया हमारे मतदाता हो सकता है या हमारे प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकता है? नहीं। लोग इसका समर्थन करते हैं, क्योंकि कोई नहीं चाहता कि घुसपैठिए भारत में मतदाता बनें।
उन्होंने कहा कि घुसपैठियों को हमारा जनप्रतिनिधि चुनने का अधिकार नहीं है। क्या ऐसे वोटरों को हमारी जनता चाहती है? नहीं चाहती।
संजय सेठ ने कहा कि विपक्षी पार्टियों को हार का डर है। कभी वे ईवीएम पर दोष मढ़ते हैं। उन्हें समझ आ गया है कि बिहार में उनकी हार निश्चित है, लेकिन देश की जनता एसआईआर के पक्ष में है। अभी 12 राज्यों में हो रहा है, बाद में पूरे देश में होगा।
इससे पहले, बिहार विधानसभा चुनाव पर संजय सेठ ने कहा कि आज बिहार की जनता शांति महसूस कर रही है। सुशासन देखना है तो बिहार को देखिए। एनडीए की सरकार भारी बहुमत से बनेगी।
वहीं, पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने एसआईआर को एक अच्छी पहल बताया है। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत अच्छी पहल है क्योंकि एसआईआर का संचालन होना ही चाहिए और यह कोई अचानक होने वाली बात नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है।
उन्होंने एसआईआर के माध्यम से कम से कम मतदाता सूची का शुद्धिकरण और सुधार तो होना ही चाहिए।
इससे पहले भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा किया जा रहा कार्य वास्तव में शुद्धिकरण का एक सराहनीय कार्य है। मतदाता सूची से सभी अनियमितताओं और अशुद्धियों को दूर करने का जो कार्य चुनाव आयोग ने किया है, वह हमारी बधाई का पात्र है। हम आग्रह करते हैं कि चुनाव आयोग इस कार्य को सही ढंग से करे और इसे अंत तक पूरा करे।