क्या केंद्रीय कैबिनेट ने भारतीय रेलवे के विस्तार के लिए चार मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को स्वीकृति दी?

सारांश
Key Takeaways
- भारतीय रेलवे के नेटवर्क में वृद्धि की जाएगी।
- 4 मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं।
- इनसे 574 किलोमीटर की नई लाइनें जुड़ेगी।
- यह परियोजनाएँ 2,309 गांवों को लाभान्वित करेंगी।
- परियोजनाएँ जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेंगी।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गुरुवार को रेल मंत्रालय की चार मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनकी कुल लागत लगभग 11,169 करोड़ रुपए है।
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इन परियोजनाओं में इटारसी - नागपुर चौथी लाइन, औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) - परभणी का दोहरीकरण, अलुआबारी रोड- न्यू जलपाईगुड़ी की तीसरी और चौथी लाइन, और डांगोपोसी- जारोली की तीसरी और चौथी लाइन शामिल हैं।
सरकार के आधिकारिक बयान में कहा गया कि इन चार मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं से भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 574 किलोमीटर की वृद्धि होगी, और यह परियोजनाएं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और झारखंड के 13 जिलों को कवर करेंगी।
सरकार ने बताया कि बढ़ी हुई लाइन क्षमता से गतिशीलता में सुधार होगा, जिससे भारतीय रेलवे की परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में वृद्धि होगी। ये मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव संचालन को सुव्यवस्थित करने और भीड़ को कम करने के लिए बनाए गए हैं। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नवीन भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान करेंगी।
परियोजनाओं की योजना पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान पर आधारित है, जिसमें एकीकृत योजना और हितधारक परामर्श के माध्यम से मल्टी-मोडल संपर्कता और रसद दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये परियोजनाएं लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध संपर्कता प्रदान करेंगी।
प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना लगभग 2,309 गांवों तक संपर्कता बढ़ाएगी, जिनकी कुल जनसंख्या लगभग 43.60 लाख है।
ये परियोजनाएं कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, जिप्सम, फ्लाई ऐश, कंटेनर, कृषि उत्पाद और पेट्रोलियम उत्पादों जैसे सामग्रियों के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 95.91 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) सामान की आवाजाही होगी। रेलवे, जो पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का माध्यम है, जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात (16 करोड़ लीटर) में कमी लाने और सीओ2 उत्सर्जन (515 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में सहयोग करेगा, जो 20 करोड़ पेड़ों के बराबर है।